शोधार्थियों का कहना है कि जो किशोर लंबे समय तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रयोग करते हैं उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरुरत है. उन्होंने कहा कि यह अध्ययन अभिभावकों को तो एक महत्वपूर्ण संदेश देता ही है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सहायता सेवा प्रदाताओं के लिए एक अवसर भी है कि वे इन साइटों पर अपनी पहुंच बढाएं.
कनाडा में ओटावा पब्लिक हेल्थ के ह्यूग्यूस सांपसा-कयिंगा और रोजमंड लुईस ने सातवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के ओंटेरियो छात्र दवा उपभोग एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण आंकडों का विश्लेषण किया. इनमें से लगभग 25 प्रतिशत छात्रों को दो घंटे से ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट्स प्रयोग करने का आदी पाया गया.
शोधार्थियों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताए वक्त की तुलना किशोरों के मनौवैज्ञानिक परीक्षणों और आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सहायता जरुरतों से की. कैलिफोर्निया के सैंन डिएगो के इंटरेक्टिव मीडिया इंस्टीट्यूट की ब्रेंडा के. वीडरहोल्ड ने कहा, ‘यह वह है जहां हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स को पाते हैं, जो किसी के लिए परेशानी का सबब हैं और किसी के लिए समाधान.’
उन्होंने कहा कि जैसा कि किशोर इन साइटों का प्रयोग करते हैं तो यह जन स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक अवसर की तरह है कि वे इस विस्तृत जनसंख्या तक पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाओं और सहायता का यहां पर प्रचार करें. यह अध्ययन साइबर साइकोलॉजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किंग जर्नल में प्रकाशित हुआ है.