उन्होंने कहा कि गत चार सितम्बर को भोपाल कलेक्टर को सौंपे गए एक आवेदन के जरिए उन्होंने मोदी से मुआवजा, आपराधिक मामले और जहरीले कचरे की सफाई पर बात करने के लिए 15 मिनट का समय मांगा है. भोपाल गैस पीडित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘‘एक अगस्त 2014 से 17 मार्च 2015 के बीच हमने प्रधानमंत्री को छह ज्ञापन भेजे हैं, लेकिन उनमें से किसी का भी जवाब नहीं आया है. हमने प्रधानमंत्री से गुहार की थी कि जिन गैस पीडितों को मुआवजे में पहले मात्र 25000 रुपये मिले हैं उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से एक लाख रुपए दिए जाएं. प्रधानमंत्री के दफ्तर से हमारे ज्ञापनों को रसायन मंत्रालय को भेजने के अलावा और कोई कार्यवाही नहीं हुई है.”
भोपाल गैस पीडित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने कहा, ‘‘बंद पडे कारबाइड कारखाने के आसपास पर्यवरणीय प्रदूषण के ज्वलंत मुद्दे के प्रति प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए हमने हर संभव प्रयास किए हैं. भोपाल में हर रोज कई नए लोग इस जहरीले प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने आज तक डॉव केमिकल्स को भोपाल की सफाई के लिए मजबूर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.” रचना ने कहा कि मोदी के साथ सबसे बडी निराशाजनक बात यह है कि उनके निर्देश पर काम करने वाली सीबीआई की कार्य प्रगति अत्यंत दयनीय है. डॉव केमिकल्स की भारतीय शाखा के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले से सीबीआई हट गई, डॉव केमिकल्स को आपराधिक प्रकरण में हाजिर करने में सीबीआई दो बार असमर्थ रही और उसने यूनियन कारबाइड के भारतीय अधिकारियों के खिलाफ सजा बढाने के लिए एक बार भी तर्क पेश नहीं किए.
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के निराशाजनक अनुभव के बावजूद हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री स्वयं पीडितों की मौजूदा हालत और जहरीले प्रदूषण की स्थिति के बारे में हालिया जानकारी लेने का प्रयास करेंगे. हम आशा करते है कि मुआवजे, जहरीले कचरे की सफाई जैसे लंबित मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेंगे.