मुसलिम नेताओं ने नकवी से की मुलाकात कहा, पहले भारतीय बाद में हिंदू-मुसलमान
नयी दिल्ली : मुसलिम नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से मिला. दल ने प्रधानमंत्री के नारे ‘सबका साथ सबका विकास’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उसके समर्थन की बात कही. मुलाकात के बाद दल के मौलवियों ने आजम खान और संगीत साम जैसे लोगों को रोकने की बात कही, जो […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2015 12:38 PM
नयी दिल्ली : मुसलिम नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से मिला. दल ने प्रधानमंत्री के नारे ‘सबका साथ सबका विकास’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उसके समर्थन की बात कही. मुलाकात के बाद दल के मौलवियों ने आजम खान और संगीत साम जैसे लोगों को रोकने की बात कही, जो भड़काउ बयान देकर देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. मुलाकात के बाद नकवी ने कहा, ‘नफरत की राजनीति करने वालों से केवल एकता और समृद्धि के साथ मुकाबला किया जा सकता है. हम फूट डालो और शासन करों में विश्वास नहीं रखते, लेकिन हम विकास और शासन में विश्वास रखते हैं.’ मुलाकात के बाद मौलवी गुलाम हसन ने कहा, ‘हम पहले एक हिंदुस्तानी हैं बाद में हिंदू या मुसलमान. नफरत की राजनीति को पराजित किया जाना चाहिए.’
Hate politics can only be countered with unity and prosperity-Mukhtar Abbas Naqvi after meeting Muslim leaders pic.twitter.com/BsrTQXoJxU
गौरतलब है दादरी के बिसहाड़ा में मो अखलाक की हत्या के बाद हिंदू और मुसलिमों का नाम लेकर राजनीति तेज हो गयी है. गांव में नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था, तभी ग्रामीणों ने विरोध किया और नेताओं के गांव में घुसने पर पाबंदी लगा दी. इस दौरान सपा के आजम खान और भाजपा के संगीत सोम ने कई विवादित बयान दिये. विवादित बयान देने में साझी महाराज और साध्वी प्राची का नाम भी शामिल है.
उधर वित्तमंत्री अरूण जेटली ने अमेरिका में कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से देश की छवि खराब होती है. मामले को शांत करने के प्रयासों के तहत बाज भाजपा ने अपने सभी नेताओं का दादरी कांड पर कुछ भी बोलने से मना किया है. लेकिन अब इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कूद पड़े हैं. उन्होंने रेडियो संदेश जारी कर लोगों को जहरीली राजनीति से दूर रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि आम आदमी ही इन ताकतों को रोक सकता है. हालांकि जब केजरीवाल दादरी गये थे तो उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया गया था.