अधिकारी ने बताया कि इसकी रिपोर्ट के गहन विश्लेषण के आधार पर बाद में सर्व महिला पुलिस कंट्रोल रुम पीसीआर वैन दिल्ली विश्वविद्यालय इलाके सहित अन्य जोन में भी संचालित किए जा सकते हैं. पुलिस उपायुक्त पीसीआर आर. के. सिंह ने बताया, ‘‘सर्व महिला पीसीआर इकाइयों के कार्य को महिलाओं से छेड़छाड़, नारी शोषण, उत्पीडन एवं उनपर अन्य प्रकार के हमलों को रोकने के मामलों तक ही सीमित नहीं रहेगा. उन्हें हर प्रकार की परेशानी वाली कॉल पर जाना होगा.’ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आठ महिलाओं को चालक के रुप में चुन लिया गया है. कुछेक अन्य ने भी स्वेच्छा से इस पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन वे सफल नहीं हुईं. इन महिला चालकों का चयन विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘चयनित महिला कर्मचारियों को इस पहल के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जा सकती है, ताकि पुलिस बल की अन्य महिलाएं भी इससे प्रोत्साहित हों. अभी गश्ती इकाई में लगभग 240 महिलाएं हैं, जिनमें से 160 रंगरुट हैं. उन्हें बंदूकधारी या प्रभारी के रुप में तैनात किया गया है. लेकिन अब तक कोई सर्व महिला पीसीआर वैन नहीं है, क्योंकि उनमें से किसी को भी चालक के रुप में तैनात नहीं किया गया था और न ही किसी से स्वेच्छा से इस पद के लिए आवेदन किया था. अधिकारी ने बताया कि हालात कुछ हद तक तब बदल गए, जब दिल्ली पुलिस ने कन्स्टेबल पद के लिए आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य कर दिया. उन्होंने बताया कि नये बैच के लिए भर्ती हुईं 160 महिला रंगरुटों में से आठ महिलाओं का चयन सर्व महिला पीसीआर पहल के लिए हुआ है.