निर्भया गैंगरेप: नाबालिग दोषी की रिहाई का विरोध कर रहे पिता को पुलिस ने हिरासत में लिया

नयी दिल्ली:सामूहिक दुष्कर्म की 16 दिसंबर की घटना के नाबालिग दोषी को आज रिहा कर दिया गया और एक अज्ञात स्थान पर किसी एनजीओ की देखरेख में भेज दिया गया. अब वह पुलिस की निगरानी में नहीं रहेगा. इस बीच रिहाई के विरोध में लोग राजपथ में प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन करने वाले लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 12:33 PM
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नयी दिल्ली:सामूहिक दुष्कर्म की 16 दिसंबर की घटना के नाबालिग दोषी को आज रिहा कर दिया गया और एक अज्ञात स्थान पर किसी एनजीओ की देखरेख में भेज दिया गया. अब वह पुलिस की निगरानी में नहीं रहेगा. इस बीच रिहाई के विरोध में लोग राजपथ में प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन करने वाले लोगों में निर्भया के माता-पिता भी शामिल है. पुलिस ने हालांकि कुछ देर बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में ले लिया. प्रदर्शन स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है. राजपथ पर पुलिस द्वारा हटाये जाने के दौरान निर्भया की मां चोटिल हो गयी.

उधर निर्भया के नाबालिग रेपिस्ट की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार सुबह 10:30 बजे सुनवाई करेगा .पुलिस सूत्रों ने कहा, ‘‘हमने उसे एक एनजीओ के साथ भेज दिया है.’ सरकारी सूत्रों ने कहा कि जब दो दिन पहले उससे पूछा गया कि क्या वह उत्तर प्रदेश के बदायूं में अपने घर जाना चाहेगा या किसी एनजीओ की देखरेख में रहना चाहेगा तो उसने सुरक्षा कारणों से एनजीओ के साथ जाने का विकल्प चुना.

दिल्ली महिला आयोग ने कल देर रात उसकी रिहाई पर रोक लगाने के लिए प्रयास किये थे लेकिन उच्चतम न्यायालय ने आधी रात के बाद दिये गये फैसले में रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में मामले को एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष भेजा जो कल मामले पर सुनवाई करेगी. किशोर अपराधी की रिहाई पर दिल्ली उच्च न्यायालय के रोक लगाने से इनकार के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने से सरकार और दिल्ली पुलिस किशोर को रिहा नहीं करेंगे.

पीडिता के पिता बद्री सिंह पांडेय ने कहा, ‘‘जहां तक रिहाई की बात है तो आप असहाय हैं. हमारी सरकार, चाहे केंद्र की हो या राज्य की, तभी सुनती हैं जब आप विरोध प्रदर्शन करते हैं. तब लाठीचार्ज कराया जाता है. वरना उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.’ पीडिता की मां आशा देवी ने कहा, ‘‘सब जानते हैं कि उसे रिहा किया जाएगा तो पिछले तीन साल में ही उचित कदम उठाये जाने चाहिए थे.’

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