नयी दिल्ली : अभूतपूर्व जनादेश के साथ सत्ता तक पहुंचने वाली आप में इस साल घमासान मचा रहा और इसमें अलगाव, निष्कासन और त्यागपत्रों का सिलसिला जारी रहा। साथ ही केंद्र और उप राज्यपाल के साथ आप सरकार का एक कटु सत्ता संघर्ष भी चलता रहा. नवंबर में अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मनाने वाली पार्टी इस साल में राजधानी में भाजपा विरोधी ताकत बनकर उभरने में सफल रही. पिछले साल लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने और दिल्ली में एक भी सीट हासिल ना कर पाने वाली पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 67 सीटों पर फतह हासिल करके अपने आलोचकों को अचंभित कर दिया.
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