उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने फिर जतायी असहिष्णुता पर चिंता

नयी दिल्ली: ‘‘अतार्किक आस्था एवं विश्वासों” पर बरसते हुए उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि समाज में ‘‘आलोचना और सवाल उठाए जाने की असहनशीलता” है, जिसमें असहमति जाहिर करने वाले लोगों का बहिष्कार कर दिया जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है. देश में ‘असहनशीलता’ पर चल रही बहस के बीच उप-राष्ट्रपति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2016 10:42 PM
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नयी दिल्ली: ‘‘अतार्किक आस्था एवं विश्वासों” पर बरसते हुए उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि समाज में ‘‘आलोचना और सवाल उठाए जाने की असहनशीलता” है, जिसमें असहमति जाहिर करने वाले लोगों का बहिष्कार कर दिया जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है. देश में ‘असहनशीलता’ पर चल रही बहस के बीच उप-राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी की है. यहां ‘‘वैज्ञानिक सोच: ज्ञान आधारित समाज की पूर्व शर्त” के विषय पर एक परिचर्चा का उद्घाटन करते हुए अंसारी ने कहा कि अवैज्ञानिक पूर्वाग्रहों और आदतों पर आधारित अतार्किक आस्था एवं विश्वास, संदेहास्पद नींव अब भी कायम हैं.

‘‘आलोचना एवं सवाल उठाए जाने की असहनशीलता” होने का दावा करते हुए अंसारी ने कहा, ‘‘तथ्यों से मिथकों को, पौराणिक कथाओं से इतिहास को, वैज्ञानिक तौर पर सत्यापित तथ्यों से विश्वास को अलग करने की कोशिश कर इन पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. और तो और, रहस्य को वैज्ञानिक कहा जा रहा है और अंधविश्वास को संस्कृति कहा जा रहा है.” उप-राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे रवैयों ने ‘‘अक्सर अप्रिय एवं हिंसक मोड ले लिया है : किताबें प्रतिबंधित की गई हैं या उन्हें प्रसार से वापस ले लिया गया है. पुस्तकालयों को जला दिया गया. असहमति जाहिर करने वाले लोगों का बहिष्कार किया गया या उन्हें जान से मार दिया गया. सामाजिक शांति भंग की गई और नागरिकों पर हिंसा की गई.” अंसारी ने कहा, ‘‘इन सभी मामलों में आम धारणा ये है कि सवाल करने से भावनाएं आहत होंगी, मौजूदा व्यवस्था को नुकसान होगा, सामाजिक व्यवस्था बाधित होगी या यह कमजोर पड जाएगी.”

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