नयी दिल्ली : संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तीन साल बाद चुप्पी तोड़ी और विवादित बयान दे दिया है. चिदंबरम ने अफजल पर सुनाये गये फैसले पर ही सवाल उठा दिया.
चिदंबरम ने एक समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में कहा कि 2001 में संसद पर हुए हमले में अफजल गुरु की भूमिका संदेहास्पद है. शायद अफजल पर सही ढंग से फैसला नहीं लिया गया. इंटरव्यू में चिदंबरम ने कथित तौर पर कहा कि उन्हें लगता है कि यह ‘‘ईमानदार राय’ रखना मुमकिन है कि अफजल गुरु के मामले में ‘‘शायद सही फैसला नहीं हुआ था’ और संसद पर हमले में ‘‘उसके शामिल होने पर गंभीर संदेह था.’ अफजल गुरु को नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी. साल 2011 में पिछली यूपीए सरकार ने जब अफजल गुरु की दया याचिका खारिज की थी, उस वक्त चिदंबरम ही केंद्रीय गृह मंत्री थे.
चिदंबरम ने समाचार पत्र से बातचीत में कहा कि अफजल पर शायद सही फैसला नहीं लिया गया. उसे बिना पैरोल के उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा, सरकार में रहते हुए आप यह नहीं कर सकते हैं कि कोर्ट ने सही फैसला नहीं सुनाया. लेकिन अब जब हम सत्ता में नहीं हैं तो एक आजाद शख्स इसपर अपनी राय रख सकता है.
चिदंबरम के इस बयान के सामने आने के बाद उनपर तिखे हमले हाने शुरू हो गये हैं. भाजपा ने चिदंबरम पर जोरदार हमला किया है. चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा कि यह संसद पर हमले के दौरान शहीद हुए जवानों और न्यायपालिका का ‘‘अपमान’ है.शर्मा ने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बयान है. यह न्यायपालिका और उन जवानों का अपमान है जो संसद पर हमले के दौरान शहीद हुए थे.
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