आचार्युलू ने आदेश में कहा, ‘चुनाव लडने के लिए शैक्षिक (डिग्री आधारित) योग्यता निर्धारित नहीं करना भारतीय लोकतंत्र की महान विशेषताओं में से एक है. जरुरी शिक्षा है डिग्री नहीं. यद्यपि जब कोई नागरिक जो कि मुख्यमंत्री के पद पर आसीन है, वह प्रधानमंत्री की डिग्री से संबंधित सूचना जानना चाहता है, उसका खुलासा करना उचित होगा.’ केजरीवाल के पत्र को एक आरटीआई आवेदन मानने का सूचना आयुक्त का यह कदम असाधरण है.
उन्होंने कहा, ‘आयोग दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय के सीपीआईओ को निर्देश देता है कि वे ‘श्रीमान नरेंद्र दामोदर मोदी’ के नाम की वर्ष 1978 (दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक) और 1983 (गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर) डिग्रियों से संबंधित सूचना की सर्वश्रेष्ठ संभव खोज करें और उसे अपीलकर्ता श्रीमान केजरीवाल को जल्द से जल्द मुहैया करायें.’
मामले की उत्पत्ति सीआईसी के दो पूर्ववर्ती आदेश और केजरीवाल की ओर से आचार्युलू को लिखा एक तीखा पत्र है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह आरटीआई आवेदनकर्ताओं की ओर से मांगी गई सूचना साझा करने को तैयार हैं, सीआईसी को प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता का खुलासा करने का भी आदेश देना चाहिए. हंस राज जैन के मामले में जिसने 1978 में एन (नरेंद्र) और एम (मोदी) के नाम वाले उत्तीर्ण छात्रों की जानकारी मांगी थी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि जब तक उसे अनुक्रमांक मुहैया नहीं कराया जाता लाखों बाहरी छात्रों में से पता लगाना संभव नहीं होगा.