किशोर ने कहा कि मंत्री, विधायक और शासन से जुड़े लोग संगठन की ही उपेक्षा करने लगते हैं जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है. अगर ऐसा नहीं होता तो पिछले लोकसभा चुनावों में हम महज 44 सीट पर नहीं सिमटते. उन्होंने कहा कि सरकार बनने के लोग भूल जाते हैं कि यह महज 5 साल के लिए ही है.
उत्तराखंड कैबिनेट के मंत्री हों या फिर खुद सीएम, सभी को समझना चाहिए की पार्टी कार्यकर्ताओं की बदौलत ही उनकी कुर्सी है. यदि वे कार्यकर्ताओं से व्यवहार सही नहीं रखेंगे तो पार्टी को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें कि उत्तराखंड में 18 मार्च से मई तक ड्रामा चला हालांकि अंत में जीत कांग्रेस की ही हुई.
यहां कांग्रेस के बागी विधायकों की बदौलत भाजपा ने सरकार बनाने की ओर कदम बढाया लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन चला गया और कोर्ट की देखरेख में ही सदन में बहुमत परिक्षण हुआ और सूबे में रावत सरकार फिर बहाल हो गई.
इधर, त्रिपुरा कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने आज कहा कि पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से विधायक विश्वजीत सेन को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है.