कुलविंदर ने कहा, ‘‘आज सुबह दो बार मेरी गुरदीप से बात हुई. बातचीत में गुरदीप ने बताया कि वह ठीक है. उसके सामने ही चार लोगों को गोली मारी गयी है लेकिन जो लोग बच गए हैं उनमें वह भी शामिल है. उसे भी गोली मारे जाने की सभी तैयारियां पूरी हो गयी थीं और एकदम अंतिम क्षणों में उसकी मौत टल गयी.’ गुरदीप के हवाले से कुलविंदर ने कहा, ‘‘शव उठाने वाली गाडी भी आ गयी थी. पुजारी भी बुला लिया गया था. पांच मिनट से भी कम समय बाकी था. अचानक मौके पर एक व्यक्ति आया. उसने कोई कागज वहां के मुख्य अधिकारी को दिया. उसके बाद मेरी मौत टाल दी गयी. अब मुझे वापस उसी जेल में भेजा जा रहा है जहां से मुझे गोली मारने के लिए यहां लाया गया था.’
गुरदीप ने कहा, ‘‘यह सब सरकार की बदौलत हुआ है. तुम सरकार से अपील करो कि वह मुझे वतन वापस बुला ले. मैं अब यहां नहीं रहना चाहता हूं. तुमसे, परिवार से और अपने बच्चों से मिलना चाहता हूं. बाकी बात मैं दूसरे दिन करुंगा.’ कुलविंदर ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लगातार मुझसे बातचीत कर रही हैं और उन्होंने कल आश्वासन भी दिया था कि गुरदीप को बचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा. मेरी अब सुषमा जी और सरकार से अपील है कि मेरे पति को वापस बुलाकर मेरी मदद करें.’ यह पूछे जाने पर कि क्या गुरदीप ने मादक पदार्थ की तस्करी की होगी, कुलविंदर ने कहा, ‘‘देखिये, मुझे नहीं पता. अगर वहां की हुकूमत कहती है कि उन्होंने ऐसा किया है तो उन्हें यह भी देखना चाहिए कि किन हालात में उन्होंने ऐसा किया होगा. उन्हें फंसाया गया है. उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था. अगर उन्होंने ऐसा किया है तो वह वर्षों से जेल में हैं. उनके किये की यह बहुत बडी सजा है जो उन्हें मिल चुकी है. इसलिए वहां की सरकार को उन्हें अब माफ कर वापस भारत भेज देना चाहिए.’
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले गुरदीप के विदेश जाने के बाद कुलविंदर, बेटी मंजोत कौर तथा बेटा सुखबीर सिंह के साथ अपने मायके नकोदर आ गयी थी. तब से वह वहीं रह रही हैं और उनके पिता के साथ-साथ, ससुराल वाले भी उनकी मदद करते हैं.