देश की सीमा से ही पाकिस्तान के पूर्वी व उत्तरी इलाके पर राफेल लड़ाकू विमान साध सकेगा निशाना

नयीदिल्ली : भारत और फ्रांस ने राफेल लड़ाकू विमानों के लिए आज 7.87 अरब यूरो के सौदे पर हस्ताक्षर किए. नवीनतम मिसाइलों और शस्त्र प्रणालियों से लैस एवं भारत के अनुकूल कईरूपांतरण वाले इन लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को उसके धुर प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान से मजबूती मिलेगी. भारतीय बेड़े में 36 महीने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2016 4:52 PM
feature

नयीदिल्ली : भारत और फ्रांस ने राफेल लड़ाकू विमानों के लिए आज 7.87 अरब यूरो के सौदे पर हस्ताक्षर किए. नवीनतम मिसाइलों और शस्त्र प्रणालियों से लैस एवं भारत के अनुकूल कईरूपांतरण वाले इन लड़ाकू विमानों से भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को उसके धुर प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान से मजबूती मिलेगी. भारतीय बेड़े में 36 महीने में यानी 2019 में राफेल लड़ाकू विमान शामिल होगा. इसकी बड़ी खासियत यह है कि यह भारत की सीमा में रहते हुए पड़ोसी देशों की सीमा के अंदर वार कर सकेगा. इसकी जद में पाकिस्तान का उत्तरी व पूर्वी हिस्सा आ जायेगा.

इस सौदे पर हस्ताक्षर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत की यात्रा पर आए उनके फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां यीव ल द्रियों ने किये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 माह पूर्व अपने फ्रांस दौरे के समय 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना का ऐलान किया था.

75 करोड़ यूरो की होगी बचत

इसलड़ाकू विमान की खरीद पर संप्रग सरकार के दौर में रही कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे जिसे नरेेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था. इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत ऑफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है. इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और आफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे. राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 36 महीने में शुरू हो जायेगी और यह अनुबंध किये जाने की तिथि से 66 महीने में पूरी हो जायेगी. इन विमानों में ‘‘मेटेॲर’ तथा ‘‘स्कैल्प’ जैसी ‘‘स्टेट ऑफ द आर्ट’ मिसाइलें लगी हैं जिनसे भारतीय वायु सेना को अपने शस्त्रबेड़े मेंनयी क्षमता हासिल हो जाएगी.

पाकिस्तान के पूर्वी और उत्तरी इलाके जद में आयेंगे

इन विमानों की खासियत इसकी ‘‘बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मेटेॲर’ मिसाइल है. कुल 150 किमी की मारक क्षमता वाला यह रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र हवा से हवा में निशाना साध सकता है.
राफेल लड़ाकू विमानों में बीवीआर मेटेॲर मिसाइल का मतलब है कि भारतीय वायुसेना देश की भूभागीय सीमा में रहते हुए पाकिस्तान के अंदर और उत्तरी तथा पूर्वी सीमाओं के दूसरी ओर लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.

वर्तमान में पाकिस्तान के पास केवल 80 किमी की मारक क्षमता वाली बीवीआर है. करगिल युद्ध के दौरान भारत ने 50 किमी की मारक क्षमता वाली बीवीआर का उपयोग किया था जबकि पाकिस्तान के पास ऐसी कोई मिसाइल नहीं थी.

बहरहाल, पाकिस्तान ने बाद में 80 किमी की मारक क्षमता वाली बीवीआर खरीदी लेकिन अब ‘‘मेटेॲर’ ने हवाई क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदलते हुए भारत का पलड़ा भारी कर दिया है.

‘‘स्कैल्प’ लंबी दूरी की, हवा से सतह में मार करने वाली क्रूज मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 300 किमी है. इससे भी भारतीय वायु सेना को अपने विरोधियों पर भारी पड़ने की क्षमता मिलेगी.

सूत्रों ने बताया कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत करीब 3.42 अरब यूरो है. इसके शस्त्रों की लागत करीब 71 करोड़ यूरो है और यह कीमत इस्राइली हेलमेट माउंटेड डिस्प्लेज को शामिल कर भारत के अनुकूल परिवर्तनों के साथ 170 करोड़ यूरो हो जाएगी.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version