कश्मीर : हुर्रियत नेता गिलानी की पोती के स्कूल पर नहीं होता बंद का नियम लागू

नयी दिल्ली : इस साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथमुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन व बंद का सिलसिला शुरू हुआ, जिसका शिकार वहां के स्कूल भी हुए. अलगाववादियों ने स्कूल भी बंद करवाये व कई स्कूलों को नुकसान भी पहुंचाया गया. लेकिन, इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2016 1:05 PM
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नयी दिल्ली : इस साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथमुठभेड़ में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन व बंद का सिलसिला शुरू हुआ, जिसका शिकार वहां के स्कूल भी हुए. अलगाववादियों ने स्कूल भी बंद करवाये व कई स्कूलों को नुकसान भी पहुंचाया गया. लेकिन, इस बुरे हाल में भी श्रीनगर का दिल्ली पब्लिक स्कूल यानी डीपीएस खुला रहा व वहां बच्चे आराम से परीक्षा देते रहे. ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि यहां हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी की पोती पढ़ती है.

दइंडियनएक्सप्रेस अखबारकीरिपोर्ट केअनुसार, डीपीएस की नौवीं व दसवीं के करीब 570 बच्चों ने इसीमहीने एक से पांच तारीखतक शहर के सिविल लाइन इलाकेके इन्डोर स्टेडियम में कड़ी सुरक्षा व्यवस्स्था के बीच इंटरनल एक्जाम दिये हैं.इन बच्चोंमें गिलानी के सबसे बड़े बेटे डॉक्टर नईम जाफर की बेटी 10वीं कक्षा में पढ़ती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, वहां जुलाई में परीक्षा ली जानी थी, लेकिन उस समय हालात ज्यादा खराब थे, ऐसे में अब स्थिति थोड़ी ठीक होने पर एक्जाम लिये गये. गिलानी के बेटे नईम ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि स्कूल ने जब परीक्षा कराने का निर्णय किया तो बाकी बच्चों के साथ मेरी बेटी को भी उसमें शामिल होना जरूरी थी, क्योंकि अंतिम नतीजों में इन परीक्षाओं को 70 प्रतिशत वेटेज मिलता है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह कौन कहता है कि हमहुर्रियत बच्चों की पढ़ाई व उनकी परीक्षाओं के खिलाफ हैं. हमने कभी इसका विरोध नहीं किया.

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