मनमोहन ने छोड़ी ‘खतरनाक विरासत” : अरुण जेटली

नयीदिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए नोटबंदी को लेकर उनकी आलोचना को आज खारिज कर दिया और कहा कि राजग सरकार पूर्व सरकार की ‘लूट खसोट’ को ‘ईमानदार प्रणाली’ में रूपांतरित करने का प्रयास कर रही है.... जेटली ने टाइम्स नाउ से कहा, ‘‘हम भारत की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2016 7:38 AM
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नयीदिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए नोटबंदी को लेकर उनकी आलोचना को आज खारिज कर दिया और कहा कि राजग सरकार पूर्व सरकार की ‘लूट खसोट’ को ‘ईमानदार प्रणाली’ में रूपांतरित करने का प्रयास कर रही है.

जेटली ने टाइम्स नाउ से कहा, ‘‘हम भारत की अर्थव्यवस्था को रूपातंरित करने की कोशिश कर रहे हैं जहां ईमानदारी पर ईनाम है…हम भ्रष्टाचार, संदिग्ध राजनीतिक चंदा, रिश्वत को बढावा देने वाली उस व्यवस्था से अधिक नीतिगत प्रणाली की ओर बढे हैं. इस प्रणाली का दुनिया में विकासशील अर्थव्यवस्थाएं अनुपालन करती हैं.’ उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी, कोयला नीलामी राष्ट्रमंडल घोटालों, साठगांठ वाले पूंजीवाद नजर नहीं आयी. यह उतना ही खराब है जितना की ‘लूट और खसोट.’ जेटली ने कहा, ‘‘अधिक ईमानदार प्रणाली में बदलाव को लूट कहा जा रहा है और 2004-14 के बीच जो हमने व्यवस्था देखी, उसे सामान्य स्थिति कहा जा रहा है. यह पाखंड है जिसे मैं सिरे से खारिज करता हूं.’

मनमोहन सिंह नेगुरुवारको राज्यसभा में नोटबंदी ‘प्रबंधन की बड़ी असफलता’ और यह संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला है. इससे जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट आएगी.

उन्होंने सरकार की नोटबंदी को लेकर इस दलील पर कटाक्ष किया कि दीर्घकाल में इससे फायदा होगा. पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जेएम केन्स के प्रसिद्ध कथन का हवाला देते हुए कहा था, ‘‘दीर्घकाल में हम सभी मर जाएंगे.’ अरुण जेटली ने इस पर कहा, ‘‘निश्चित रूप से हम सभी मरेंगे लेकिन हमें सरकार में रहने का अवसर मिला है और क्या हमें केवल अपनी पीढी के बारे में सोचना है? हम सभी मर जाएंगे लेकिन देश जीवित रहेगा. इसीलिए हम अपने पीछे कौन-सी विरासत उस देश केलिए छोड़ने जा रहे हैं.’ उन्होंने पूर्व संप्रग सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि 2004-14 के बीच उन्होंने कोई निर्णय नहीं लेना चाहा और इसीलिए ‘खतरनाक विरासत’ पीछे छोड़ी.

जेटली ने कहा, ‘‘लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री कुछ नहीं करने का रुख या नीतिगतजड़ताकी विरासत अपने पीछे नहीं छोड़ना चाहते. उन्होंने बहुत साहसिक फैसला किया है जिससे हम दीर्घकाल में भी भारत का रूपांतरण चाहते हैं.’

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