फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के कारण एमजीआर ने सन 1984 में उन्हें पार्टी की प्रतिनिधि के बतौर जयललिता को राज्यसभा भेजा. 1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य बनी थीं. इसके बाद से ही जयललिता को एमजीआर का उत्तराधिकारी माना जाने लगा था. लेकिन यह उनकी पार्टी के कई नेताओं को पसंद नहीं था. 1984 में जब ब्रेन स्ट्रोक के कारण रामचंद्रन अक्षम हो गये तब जया ने मुख्यमंत्री का पद संभालना चाहा, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया था. वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गयी. एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
संबंधित खबर
और खबरें