टीवी रिपोर्ट के अनुसार मामले के तूल पकड़ने पर आरोप लगाने वाले जवान का ट्रांसफर दूसरी यूनिट में कर दिया गया है जहां उन्हें प्लंबर का काम सौंपा गया है.एक न्यूज चैनलसे बात करते हुए बीएसएफ के रिटायर्ड हवलदार हरिओम ने कहा कि वहां के खाने में क्वालिटी की कमी है. क्वांटिटी की नहीं…. उन्होंने कहा कि मेनू के आधार पर वहां खाना नहीं मिलता है. खाना तो वहां भरपूर दिया जाता है लेकिन उसमें क्वालिटी नहीं होती जिससे जवान बीमार पड़ता है. वहां खाने में सुधार की आवश्यकता है.
आपको बता दें कि बीएसएफ के बजट की लगभग 7 से 9 प्रतिशत राशि खाने में खर्च की जाती है. जवानों को मैदानी और पहाड़ी इलाकों के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया जाता है.
क्या है वीडियो में
तेजबहादुर ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट करके आरोप लगाया कि उन्हें नाश्ते में जली हुई एक रोटी, चाय और खाने के नाम पर सिर्फ हल्दी नमक वाली दाल ही मिलती है. धीरे-धीरे यह वीडियो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हो गया कि इसे लाखों लोगों ने देखा और लाखों ने शेयर किया.
2010 में कोर्ट मार्शल किया जा चुका है जवान का
मामले को लेकर मंगलवार को बीएसएफ के आइजी डीके उपाध्याय ने मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और कहा कि हमारे लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा है. हम इसकी जांच करेंगे और उसी के मुताबिक एक्शन लेंगे. मैं यह मान सकता हूं कि खाने ठंड की वजह से खाने का टेस्ट अच्छा न हो लेकिन जवानों को इससे शिकायत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि तेज बहादुर यादव के खिलाफ अतीत में अनुशासनहीनता के आरोप हैं, उसका 2010 में कोर्ट मार्शल किया जा चुका है. आरोपी जवान अपने से सीनियर अधिकारियों पर गन तान देता था. इसलिए इसे हेडक्वार्टर में रखा गया. हमने उसकी पत्नी और बच्चों का खयाल करते हुए तेज बहादुर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की.
जवान की सफाई
जवानों को घटिया खाना परोसे जाने और अफसरों पर गंभीर आरोप लगाने वाले बीएसएफ जवान ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि उसने पहले भी शिकायत की थी लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मजबूरी में उसने वीडियो सोशल मीडिया पर डाला. उन्होंने कहा कि मैंने इस बारे में अपने कमांडर से तीन-चार बार शिकायत की लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो मजबूरन मुझे ऐसा करना पड़ा.