नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि क्या 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी करनाल सिंह की प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के पूर्णकालिक निदेशक के रुप में नियुक्ति कानूनी जरुरत के अनुसार है या नहीं.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति एनवी रमण एवं न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत सिंह की नियुक्ति उन्हें दो वर्ष का कार्यकाल देती है या नहीं. शीर्ष अदालत ने कहा कि सिंह को 27 अक्तूबर 2016 को जारी नियुक्ति पत्र में कहा गया है कि वह अगस्त 2017 में सेवानिवृत्ति पर पदमुक्त होंगे.
पीठ ने कहा कि यह सीवीसी कानून की धारा 25 (डी) का पालन नहीं करता क्योंकि यह धारा प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल दो वर्ष से कम नहीं तय करती है. आप स्पष्ट करें कि नया नियुक्ति पत्र उन्हें जारी हो सकता है या नहीं क्योंकि सेवानिवृत्ति की तारीख तक नियुक्ति वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है.
सेवाविस्तार मिलने पर निदेशक के पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे सिंह को 27 अक्तूबर 2016 को सेवानिवृत्ति की तारीख यानी 31 अगस्त 2017 तक प्रवर्तन निदेशालय का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया था. रोहतगी ने निर्देश प्राप्त करने के लिए थोडा समय मांगा जिसके बाद पीठ ने इसकी सुनवाई सोमवार के लिये स्थगित कर दी.
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