SC मुफ्त सामान बांटने के वादों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उस याचिका पर सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को सत्ता में आने पर लोगों को मुफ्त सामान बांटने के वादे करने से रोकने के लिए कहा गया है. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2017 1:11 PM
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नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उस याचिका पर सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को सत्ता में आने पर लोगों को मुफ्त सामान बांटने के वादे करने से रोकने के लिए कहा गया है. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए दो फरवरी का दिन तय किया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारत में चुनावों के दौरान लोगों को मुफ्त सामान बांटने का वादा करना आम बात हो गई है.

मुफ्त सामान बांटने से रोकने की बात

दिल्ली निवासी अशोक शर्मा द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया है कि सभी राजनीतिक दलों को मुफ्त सामान बांटने से रोका जाये. इसमें कहा गया कि फरवरी और मार्च में पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कथित तौर पर मुफ्त सामान देने की पेशकश की जा रही है. उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने इन पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में सरकारी खर्च पर मुफ्त सामान बांटे जाने से राजनीतिक दलों को रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये हैं.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने अपने हालिया दिशा निर्देश में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ‘प्रभावहीन’ कर दिया है. उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को सभी मान्यताप्राप्त दलों के साथ विचार-विमर्श करके दिशा निर्देश तय करने का निर्देश दिया था. शीर्ष न्यायालय ने जुलाई 2013 के अपने आदेश में कहा था कि यह नियम स्पष्ट है कि चुनावी घोषणापत्र में किये गये वादों को जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 के तहत ‘भ्रष्ट कार्य’ नहीं कहा जा सकता, लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी तरह का मुफ्त सामान बांटने से निश्चित तौर पर लोगों पर प्रभाव पड़ता है और इससे समान प्रतिद्वंद्विता प्रभावित होती है.

सामान देना भ्रष्ट कार्य-याचिका

याचिका में आरोप लगाया गया कि शीर्ष न्यायालय के फैसले के पालन का चुनाव आयोग का कोई इरादा नहीं है. याचिका में अनुरोध किया गया कि न्यायालय निर्वाचन आयोग के चुनावी घोषणापत्र से जुडे हालिया दिशानिर्देशों को निरस्त करे या उनमें बदलाव करे क्योंकि ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 से विरोधाभासी हैं.” याचिका में आरोप लगाया गया कि मुफ्त चीजें देने का वादा और वितरण ‘भ्रष्ट काम’ है और आजकल चुनाव जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल इस तरह की तरकीबें अपना रहे हैं. इसमें कहा गया कि राजनीतिक दल अपने राजनीतिक लाभों के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होती है. याचिका में कहा गया कि कराधान के जरिये सरकार द्वारा जुटाये गये धन का इस्तेमाल जनता से जुड़े कार्यों में ही किया जाना चाहिए.

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