चीन के OBOR का जवाब ‘फ्रीडम कॉरिडोर’, कमजोर देशों में जापान की मदद से आधारभूत संरचनाएं तैयार करेगा भारत

नयी दिल्लीः चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (OBOR) से दूरी बनाने के लिए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भारत सरकार की आलोचना की है. इसे मोदी सरकार की सबसे बड़ी कूटनीतिक विफलता बताया है. लेकिन, भारत ने चीन को टक्कर देने के लिए अफ्रीका तक ‘फ्रीडम काॅरिडोर’ बनाने की तैयारी की है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2017 10:50 AM
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नयी दिल्लीः चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (OBOR) से दूरी बनाने के लिए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भारत सरकार की आलोचना की है. इसे मोदी सरकार की सबसे बड़ी कूटनीतिक विफलता बताया है. लेकिन, भारत ने चीन को टक्कर देने के लिए अफ्रीका तक ‘फ्रीडम काॅरिडोर’ बनाने की तैयारी की है.

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भारत अब जापान की मदद से पूर्वी अफ्रीका में आधारभूत संरचनाअों के विकास की फंडिंग करेगा. ईरान के चाबहार पोर्ट के विस्तार और उसके करीब बन रहे स्पेशल इकाॅनोमिक जोन में जापान भी भारत का भागीदार बन सकता है.

इतना ही नहीं, पूर्वी श्रीलंका में भारत और जापान संयुक्त रूप से त्रिंकोमाली पोर्ट का विस्तार कर सकते हैं. दोनों देशों की योजना थाइलैंड-म्यांमार सीमा पर दावेई पोर्ट को विकसित करने की भी है.

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भारत और जापान की ये कोशिशें एशिया-पैसिफिक से अफ्रीका तक ‘फ्रीडम कॉरिडोर’ बनाने की योजना का हिस्सा हैं. इसका मकसद इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के मद्देनजर संतुलन की स्थिति बनाने का है. इस कॉरिडोर की घोषणा जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले वर्ष नवंबर में जापान यात्रा के दौरान की थी.

वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाल के जापान दौरे के दौरान भी दोनों दोनों देशों के बीच इन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लेकर सहयोग पर बातचीत हुई थी. क्षेत्र में चीन के असर को कम करने के लिए भारत और जापान ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स शुरू किये हैं. जापान ने पूर्वोत्तर भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में क्वालिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए समझौता किया है.

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