पाक की चौकियों पर सेना ने की दंडात्मक गोलाबारी : जारी किया वीडियो, पाक ने नकारा

नयी दिल्ली/इस्लामाबाद : भारतीय थलसेना ने मंगलवारको कहा कि उसने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी ठिकानों पर दंडात्मक गोलाबारी की, जिससे ‘‘कुछ नुकसान’ पहुंचा है. सेना की ओर से यह कार्रवाई उसके दो सैनिकों के सिर काटे जाने के कुछ दिन बाद की गयी है. सेना ने सैन्य कार्रवाई का एक वीडियो जारी किया, जिसमें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2017 6:10 PM
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नयी दिल्ली/इस्लामाबाद : भारतीय थलसेना ने मंगलवारको कहा कि उसने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी ठिकानों पर दंडात्मक गोलाबारी की, जिससे ‘‘कुछ नुकसान’ पहुंचा है. सेना की ओर से यह कार्रवाई उसके दो सैनिकों के सिर काटे जाने के कुछ दिन बाद की गयी है. सेना ने सैन्य कार्रवाई का एक वीडियो जारी किया, जिसमें वनक्षेत्र में कुछ ढांचों को बार-बार की जानेवाली गोलाबारी के कारण नेस्तनाबूद होते दिखाया गया है. हालांकि, पाकिस्तानी सेना ने नौशेरा सेक्टर में उसकी चौकियां नष्ट करने के भारतीय सेना के दावे को ‘‘गलत’ करार देते हुए खारिज कर दिया है.

भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पार उन पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर किये गये पलटवार का अभियानगत ब्योरा नहीं दिया है, जो घुसपैठ में मदद करते हैं. हालांकि, सेना के सूत्रों ने बताया कि भारतीय सुरक्षा बल के दो कर्मियों का सिर काटे जाने की घटना के नौ दिन बाद नौ मई को इस घटना को अंजाम दिया गया.

अतिरिक्त महानिदेशक जन सूचना मेजर जनरल एके नरुला ने कहा, ‘’हमारे सैनिकों द्वारा नौशेरा सेक्टर में हाल में की गयी कार्रवाई से पाक सेना की उन चौकियों को नुकसान पहुंचा है, जो घुसपैठ का समर्थन कर रही हैं. यह आतंकवाद से मुकाबला करने की हमारी समग्र रणनीति का अंग है.’ सूत्रों ने बताया कि यह हमला पाकिस्तान को संदेश था कि सीमा पार से होनेवाले घुसपैठ के किसी भी प्रयास के खिलाफ सेना कठोर कार्रवाई करेगी और उसकी तीव्रता बढ़ती जायेगी.

सरकार ने सेना की इस कार्रवाई का समर्थन किया और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में शांति बहाल करनी है और शांति सुनिश्चित करने के लिए ऐसी कार्रवाई जरूरी है. रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेना कश्मीर घाटी में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए इस प्रकार की पहले से सोच समझ कर और नपी तुली कार्रवाई कर रही है.

रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार नियंत्रण रेखा के परे भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन करती है, जम्मू-कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई की आवश्यकता है.’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भारतीय सेना घार्टी में आतंकवाद का मुकाबला करने और घुसपैठ का समर्थन करनेवाली नियंत्रण रेखा के परे पाक की चौकियों को अलग हटा रही है.’

उधर, इस्लामाबाद में इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक आसिफ गफ्फूर ने ट्वीट कर कहा, ‘‘नौशेरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के समीप पाकिस्तानी चौकियों को नष्ट करने तथा नियंत्रण रेखा के परे नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा गोलीबारी के भारतीय दावेे गलत हैं.’ कुल 22 सेकेंड के इस वीडियो में दिखाया गया है कि गोले बरसने और धुआं उठने के बीच ठोस ढांचे मलबे के ढेर में बदल गये. बहरहाल, इस क्लिपिंग में अभियान के क्षेत्र की स्पष्ट पहचान नहीं हो पा रही है. मेजर जनरल नरुला ने कहा, ‘‘हमारी आतंकवाद निरोधक रणनीति के तहत घुसपैठ पर रोक सुनिश्चित करने एवं पहल को अपने पास रखने के लिए भारतीय थलसेना पहले से सक्रियता रखते हुए नियंत्रण रेखा पर अपना दबदबा बनाये हुए है.’

नरुला ने कहा, ‘‘ऐसा करते हुए आतंकवादियों की मदद करने वाले स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है एवं नष्ट किया जा रहा है, ताकि आतंकवादियों को लाभ न मिल सके. इस प्रकार घुसपैठ के प्रयासों पर रोक लगायी जा रही है.’ पाकिस्तानी पक्ष की ओर से हताहत होनेवाले लोगों की संख्या के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है. सेना के सूत्रों ने बताया कि हमले में राकेट लांचरों, टैंक रोधी गाइडेड मिसाइलों, स्वचालित ग्रेनेड लांचरों आदि का उपयोग किया गया.

उन्होंने कहा कि सेना के आतंकवाद निरोधक अभियान के तहत नियंत्रण रेखा के पार दंडात्मक गोलाबारी की जा रही है. मेजर जनरल नरुला ने कहा कि बर्फ पिघलने एवं दर्रों के खुलने के साथ घुसपैठ बढ़ने की आशंका होती है. उन्होंने नौगाम की हालिया घटना का जिक्र किया, जिसमें 20-21 मई को चार आतंकवादियों को मार दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘इसके चलते पहले से सक्रियता दिखाते हुए अधिक आतंकवाद निरोधक अभियानों की आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें जम्मू कश्मीर राज्य में शांति एवं अमन चाहिए. इस उद्देश्य के लिए जरूरी है कि नियंत्रण रेखा के पार से होनेवाली घुसपैठ पर रोक लगायी जाये. यह जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या कम करने के लिए जरूरी है, ताकि जम्मू-कश्मीर के युवकों पर आतंकवादियों का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.’

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