नयी दिल्ली : भारत ने आज मारीशस को 50 करोड़ डालर की ऋण सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है. इसके साथ ही दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मारीशस के प्रधानमंत्री प्राविंद जगन्नाथ के बीच विस्तृत बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये गये.
यहां जारी एक वक्तव्य के मुताबिक मोदी ने कहा कि वह और जगन्नाथ इस बात पर सहमत हुये हैं कि आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने और दोनों देशों के लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये हिंद महासागर में परंपरागत और गैर-परंपरागत खतरों से निपटने के लिये प्रभावी व्यवस्था किया जाना जरुरी है. प्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदी ने कहा, ‘‘हमें समुद्री डकैती की घटनाओं के प्रति निगरानी बढानी होगी इससे हमारे व्यापार और पर्यटन पर असर पड़ता है. नशीले पदार्थों और मानव तस्करी, अवैध मछली पालन तथा समुद्री संसाधनों के अन्य प्रकार के अवैध दोहन पर भी नजर रखनी होगी.”
पीएम माेदी ने कहा कि द्विपक्षीय समुद्रीय समझौते से आपसी सहयोग और क्षमता मजबूत होगी. मारीशस के प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने इस अवसर पर कहा दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि समुद्री आवागमन के मार्ग सुरक्षित हों और समुद्री डकैती, अवैध तरीके से मछली पकड़ने और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिये नियमित रुप से निगरानी रखनी होगी. इस अवसर पर तटरक्षक नौवहन जहाज गार्डियन की परिचालन आयु का विस्तार करने का भी फैसला किया गया। यह जहाज भारत ने मारीशस को एक अनुदान सहायता कार्यक्रम के तहत दिया है. मोदी ने मार्च 2015 में अपनी मारीशस यात्रा के दौरान अपतटीय पहरेदारी के लिये भारत में निर्मित और वित्तपोषित बाराकुडा नौवहन जलयान को मारीशस तटरक्षा के लिये सुपुर्द किया था.
दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद कुल मिलाकर चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. समुद्री सुरक्षा समझौते के अलावा तीन अन्य समझौते किये गये. इनमें मारीशस में सिविल सेवा कालेज स्थापित किये जाने, समुद्रीय शोध कार्यों में सहयोग और एक समझौता अमेरिकी डालर में ऋण सुविधा के बारे में किया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मारीशस को ऋण सुविधा का समझौता उसके विकास के प्रति हमारी मजबूत और लगातार प्रतिबद्धता का बेहतर उदाहरण है.
दोनों देशों ने व्यापार और निवेश सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढाने का भी फैसला किया है. मोदी ने कहा, ‘‘मारीशस में चल रही विकास गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी को लेकर भारत को गर्व है.” उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग पर भी जोर दिया गया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के लिये मारीशस के समर्थन को दोहराते हुये जगन्नाथ ने चागोस आर्कीपिलेगो पर उनके देश के दावे का नयी दिल्ली द्वारा समर्थन किये जाने का स्वागत किया.
हिन्द महासागर स्थित आकीपिलेगो पर ब्रिटेन और मारीशस दोनों दावा करते हैं. वृहद आर्थिक सहयोग एवं भागीदारी समझौते :सीईसीपीए: पर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। जगन्नाथ ने इस मुद्दे पर बातचीत शुरु होने को लेकर संतोष जताते हुये कहा कि मारीशस को यह बातचीत इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है.
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