AAP: वैकल्पिक राजनीति के जरिये दिल्ली की सियासत में पांव जमाने में जुटे केजरीवाल

मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स(एएसएपी) को लांच किया. इस संगठन को लांच करने का मकसद युवाओं को पार्टी से जोड़ने के साथ जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करना है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से छात्र युवा संघर्ष समिति का गठन किया गया था, लेकिन पिछले 10 साल में यह संगठन कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाया. ऐसे में दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के नये छात्र संगठन की घोषणा कर एक बार फिर खुद को सक्रिय करने की कोशिश की है.

By Vinay Tiwari | May 20, 2025 5:02 PM
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AAP: दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पार्टी के कार्यक्रम में शामिल हुए. मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स(एएसएपी) को लांच किया. इस संगठन को लांच करने का मकसद युवाओं को पार्टी से जोड़ने के साथ जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करना है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से छात्र युवा संघर्ष समिति का गठन किया गया था, लेकिन पिछले 10 साल में यह संगठन कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाया. ऐसे में दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के नये छात्र संगठन की घोषणा कर एक बार फिर खुद को सक्रिय करने की कोशिश की है. दिल्ली की हार के बाद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली की सियासत से लगभग गायब हो गया था. अधिकांश नेताओं की सक्रियता पंजाब में देखी जा रही थी.

इस सक्रियता के कारण पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार पर सवाल उठ रहे थे. विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे थे कि पंजाब सरकार दिल्ली के इशारे पर काम कर रही है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि देश में वैकल्पिक राजनीति की जरूरत है क्योंकि परंपरागत राजनीति विफल हो रही है. देश की मौजूदा समस्या की वजह दशकों से चली आ रही परंपरागत राजनीति है. मौजूदा समय में देश के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आम लोगों की रोजाना की समस्या का समाधान करना मायने रखता है. 


दिल्ली की राजनीति में फिर जगह तलाशने की कोशिश

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे. दिल्ली की हार के बाद आम आदमी पार्टी के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल भी सवालों के घेरे में आ गया. आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं. भ्रष्टाचार के कारण केजरीवाल और पार्टी की छवि को गहरा धक्का लगा और आम लोग भी इस पार्टी को अन्य दलों की तरह देखने लगे. हार के कारण आम आदमी पार्टी में बगावत के सुर भी तेज होने लगे. आम आदमी पार्टी के कई पार्षदों ने एक अलग गुट बना लिया. ऐसी खबरें हैं कि पार्टी के कई विधायक भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और आने वाले समय में कई विधायक पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और अन्य नेताओं के बीच लगातार संवादहीनता के कारण पार्टी में टूट का खतरा बढ़ गया था.

ऐसे में पार्टी नेताओं को एकजुटता का संदेश देने के लिए केजरीवाल दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं. नये छात्र संगठन की घोषणा का मकसद यही है. पार्टी की कोशिश खुद को दूसरे दलों से अलग दिखाने की है. इसलिए केजरीवाल वैकल्पिक राजनीति की बात कर रहे है. लेकिन सवाल है कि क्या पार्टी इस कोशिश में अब कामयाब हो पायेगी. क्योंकि पहले की तुलना में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को लेकर लोगों के नजरिये में व्यापक बदलाव देखने को मिला है. अब केजरीवाल की छवि पहले जैसे नहीं रह गयी है. यही पार्टी की सबसे बड़ी समस्या है.

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