केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग हमारे लोकतंत्र का बहुत महत्वपूर्ण अंग है. इस बारे में जानकारी नहीं होने से कानून और लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है और न्यायपालिका का भी काम प्रभावित होता है. लोकसभा परिसर में विधायी प्रारूपण संबंधी 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग में समय के साथ बदलाव और दक्षता आनी चाहिए.
सरकार का सबसे शक्तिशाली अंग संसद है : शाह
अमित शाह ने कहा कि सरकार का सबसे शक्तिशाली अंग संसद है और इसकी ताकत कानून है. लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग किसी भी देश को अच्छे तरीके से चलाने की सबसे महत्वपूर्ण विधा है. संसद और लोगों की इच्छा को कानून में समाहित करने में कई बातों जैसे संविधान, लोगों के रीति-रिवाज, संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, शासन व्यवस्था की संरचना, समाज की प्रकृति, देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय संधियों का ध्यान रखना होता है. गृह मंत्री ने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग कोई विज्ञान या कला नहीं है, बल्कि एक कौशल है. कानून हमेशा सरल और आसान होना चाहिए.
लोकतंत्र में वाद-विवाद और चर्चा रचनात्मक और सकारात्मक होनी चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में कानूनों का बहुत महत्व होता है. विधानों को स्पष्ट बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब क्रियान्वयन और व्याख्या की बात आती है, तो स्पष्टता से समय और संसाधनों की बचत होती है. साथ ही विधानों की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए.
नियम बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कानून बनाना : ओम बिरला
ओम बिरला ने कहा, कानून बनाने वालों को संवैधानिक प्रावधानों के साथ ही विधेयक पेश करने संबंधी निर्धारित प्रक्रिया की भी जानकारी होनी चाहिए. बिरला ने कहा कि नियम बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कानून बनाना. लोक सभा सचिवालय विधायी प्रारूपण और नियम तैयार करने संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा. ऐसे कार्यक्रमों से संसद में बेहतर बहस और चर्चा में मदद मिलेगी और लोकतंत्र मजबूत होगा.
कार्यक्रम में खान मंत्री प्रह्लाद जोशी भी थे मौजूद
इस अवसर पर संसदीय कार्य एवं कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अलावा लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह मौजूद रहे. गौरतलब है कि संसदीय लोकतंत्र शोध और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के सहयोग से संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मकसद संसद, विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों, वैधानिक निकायों और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों को विधायी प्रारूपण के सिद्धांतों और प्रथाओं की जानकारी देना है. इस कार्यक्रम को ऑनलाइन और ऑफलाइन के हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है.
ब्यूरो, नयी दिल्ली
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