Arvind Kejriwal:दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में जीत के तमाम दावे के बावजूद आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी. दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा को विधानसभा में जीत मिली. चुनाव परिणाम के बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने वीडियो संदेश जारी कर भाजपा को जीत की बधाई दी. लेकिन चुनाव परिणाम के बाद अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक मंच से गायब हो गये हैं. दिल्ली विधानसभा में विपक्ष का नेता चुनने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक के बाद केजरीवाल सार्वजनिक तौर पर नहीं देखे गए हैं. सार्वजनिक मंच से केजरीवाल की गैरमौजूदगी को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि केजरीवाल पंजाब कोटे से राज्यसभा का सदस्य बन सकते हैं. आप सांसद संजीव अरोड़ा के विधानसभा का उपचुनाव लड़ने की घोषणा के बाद यह संभावना प्रबल हुई है. भले ही आम आदमी पार्टी की ओर से केजरीवाल के राज्यसभा जाने की बात का खंडन किया गया है. लेकिन पंजाब के आप नेताओं के बयान से जाहिर होता है कि केजरीवाल राज्यसभा जाने की तैयारी कर रहे हैं. विपक्ष की ओर से इस बात को जोर-शोर से उठाया जा रहा है. वैसे केजरीवाल के लिए सियासी मजबूरी भी है कि वह किसी सदन का सदस्य बने.
दिल्ली की हार के बाद केजरीवाल की रणनीति
हर मुद्दे पर मुखर रहने वाले अरविंद केजरीवाल दिल्ली में मिली हार के बाद खामोश हैं. दिल्ली विधानसभा से आप विधायकों के निलंबन को लेकर भी केजरीवाल की ओर कोई बयान नहीं आया. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल का पूरा फोकस पंजाब पर है. आम आदमी पार्टी पंजाब में सरकार को सुरक्षित करने के साथ ही लोगों को यह संदेश देने की कोशिश में जुटी है कि पंजाब सरकार का मॉडल देश में सबसे बेहतर है. सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल अब रोजाना पंजाब सरकार के कामकाज की समीक्षा कर जरूरी निर्देश दे रहे हैं. यही कारण है कि पंजाब सरकार भ्रष्टाचार और नशे को लेकर सख्त रवैया अपनाया है.
जानकारों का कहना है कि दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल इंडिया गठबंधन को लेकर भी उत्साहित नहीं हैं. आने वाले समय में पार्टी की कोशिश ऐसे राज्यों पर विशेष ध्यान देने की है, जहां पार्टी का जनाधार मजबूत है. लेकिन दिल्ली की हार के बाद आप के राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पर ब्रेक जरूर लग गया है. मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस पंजाब पर टिक गया है. पंजाब में वर्ष 2027 में विधानसभा का चुनाव होना है और अगर पंजाब की सत्ता से आप बाहर हुई तो आने वाला समय केजरीवाल और आप के लिए मुश्किल भरा साबित होगा.