AYUSH: सुश्रुत जयंती के अवसर पर 13 से 15 जुलाई 2025 तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘शल्यकॉन 2025’ का आयोजन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) कर रहा है. शल्य चिकित्सा के जनक माने जाने वाले महान आचार्य सुश्रुत की स्मृति में प्रति वर्ष 15 जुलाई को सुश्रुत जयंती मनाई जाती है. इस सेमिनार में 13 और 14 जुलाई को सामान्य सर्जरी, गुदा-मलाशय सर्जरी और मूत्र-शल्य चिकित्सा संबंधी मामलों का लाइव प्रदर्शन होगा. पहले दिन, 10 सामान्य एंडोस्कोपिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जायेगी. दूसरे दिन 16 गुदा-मलाशय सर्जरी की लाइव सर्जिकल प्रक्रियाएं होंगी. इसमें हिस्सा लेने वाले चिकित्सकों को वास्तविक समय की सर्जिकल प्रक्रियाओं को देखने और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करेंगी.
सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है. वह प्राचीन भारत के एक महान ऋषि और शल्य चिकित्सक थे. उन्होंने लगभग 600 ईसा पूर्व में अभ्यास किया और शल्य चिकित्सा, विशेषकर प्लास्टिक सर्जरी में अपने योगदान के लिए आज भी उतने ही आदर से याद किये जाते हैं. सुश्रुत संहिता, आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो शल्य चिकित्सा के सिद्धांतों, शरीर रचना विज्ञान और उपचार विधियों का वर्णन करता है.
बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना
शल्य तंत्र विभाग द्वारा आयोजित ‘शल्यकॉन 2025’ आधुनिक शल्य चिकित्सा प्रगति के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों के एकीकरण को बढ़ावा देकर इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस पहल का उद्देश्य उभरते आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों को एकीकृत शल्य चिकित्सा देखभाल के अभ्यास में बेहतर दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना है.‘ इस कार्यक्रम के दौरान तीन दिनों तक एक विशेष पूर्ण सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें सामान्य और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, घाव प्रबंधन और पैरा-सर्जिकल तकनीक, गुदा-मलाशय सर्जरी, अस्थि-संधि मर्म चिकित्सा और सर्जरी में नवाचार जैसे क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा. अंतिम दिन 200 से अधिक मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियां भी होंगी.यह नैदानिक प्रदर्शनों के अलावा, एक वैज्ञानिक सत्र विद्वानों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को अपना कार्य प्रस्तुत करने और अकादमिक संवाद में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान करेगा.
परंपरा और प्रौद्योगिकी का गतिशील संगम
इनोवेशन, एकीकरण और प्रेरणा पर केंद्रित विषय के साथ ‘शल्यकॉन 2025’ परंपरा और प्रौद्योगिकी का एक गतिशील संगम बनने के लिए तैयार है, जो भारत और विदेश से आए 500 से अधिक प्रख्यात विद्वानों, शल्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को एक व्यापक मंच प्रदान करेगा. यह आयोजन विचारों के आदान-प्रदान, नैदानिक प्रगति को प्रदर्शित करने और आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धतियों में उभरते रुझानों का पता लगाने में सहायक होगा. इस कार्यक्रम का उद्घाटन 14 जुलाई 2025 को होगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव गणपतराव जाधव उपस्थित रहेंगे.
मुख्य अतिथियों में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए), जयपुर के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा और आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए), जामनगर की निदेशक प्रो. (डॉ.) तनुजा नेसारी शामिल हैं. एआईआईए की निदेशक (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. (डॉ.) मंजूषा राजगोपाला ने कहा ‘अपनी स्थापना के बाद से, एआईआईए दुनिया भर में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहा है.