संसद ने सोमवार को ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी प्रदान कर दी. जिसमें लोगों की सुविधा के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र के डिजिटल पंजीकरण के प्रावधान हैं.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने चर्चा का दिया जवाब
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया और उनके जवाब के बाद राज्यसभा ने विधेयक को ध्वनिमत से अपनी स्वीकृति दे दी। चर्चा के समय विपक्ष के ज्यादातर सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है.
क्यों लाया गया विधेयक
चर्चा का जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक लोगों के लिए सुविधाओं को सुगम बनाने के मकसद से लाया गया है और यह जनहित में है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के संबंध में राज्यों, संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों से व्यापक परामर्श किया गया तथा आम लोगों से भी राय ली गई.
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विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा, मानवीय हस्तक्षेप कम हो जाएगा और यह डिजिटल होगा. उन्होंने कहा कि यह ऐसा प्रमाण पत्र होगा जो विभिन्न कार्यों में भी मददगार साबित होगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न आपदा के पीडि़तों एवं उनके परिवारों को भी फायदा होगा.
जन्म एवं मृत्यु का राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार किया जाएगा
विधेयक में लोगों की सुविधा एवं फायदे के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र में डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है. इसमें पंजीकृत जन्म एवं मृत्यु का राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार करने की बात कही गई है.
चर्चा में इन सांसदों ने लिया हिस्सा
संक्षिप्त चर्चा में बीजू जनता दल की सुलता देव, भाजपा की सीमा द्विवेदी, वाईएसआर कांग्रेस के सुभाष चंद्र बोस पिल्ली और वी विजय साई रेड्डी, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने भी भाग लिया.
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जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 में अबतक नहीं हुआ था संशोधन
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, जन्म एवं मृत्यु के मामलों के पंजीकरण के नियमन को लेकर अमल में आया था. इस अधिनियम में अब तक संशोधन नहीं किया गया है और इसके संचालन की अवधि के दौरान सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने और इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि समाज में आए बदलाव और प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ रफ्तार बनाये रखने एवं इसे नागरिकों की सुविधा के अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की जरूरत थी.
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