बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने रूस-यूक्रेन से की शांति वार्ता करने की अपील, बोले – युद्ध अब हो गया पुराना

दलाई लामा ने एक बयान में कहा कि मैं यूक्रेन में संघर्ष को लेकर काफी दुखी हूं. हमारी दुनिया इतनी एक-दूसरे पर निर्भर हो गई है कि दो देशों के बीच हिंसक संघर्ष का यकीनन दूसरों पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2022 1:21 PM
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धर्मशाला : तिब्बत के आध्यात्मिक नेता और बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने युक्रेन संकट पर दुख व्यक्त किया है. इसके साथ ही, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने युद्धरत दोनों देशों से शांतिवार्ता करने की अपील भी की है. बता दें कि पिछले पांच दिनों से रूस यूक्रेन पर हमला कर रहा है. इस हमले में करीब 352 लोगों की मौत हो गई है. इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की विशेष बैठक भी आयोजित की जा रही है. पश्चिमी देशों के साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी समेत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 11 सदस्य देश रूस के खिलाफ खड़े हैं.

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के आध्यात्मिक नेता और बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने सोमवार को यूक्रेन संकट पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने दोनों देशों से शांतिवार्ता की अपील करते हुए कहा कि बातचीत के जरिए ही समस्याओं एवं असहमति का सबसे सही समाधान निकाला जा सकता है. शांति के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले लामा ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बारे में कहा कि युद्ध अब एक पुराना तरीका हो गया है और अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है.

यूक्रेन संघर्ष से काफी दुखी हैं दलाई लामा

दलाई लामा ने एक बयान में कहा कि मैं यूक्रेन में संघर्ष को लेकर काफी दुखी हूं. हमारी दुनिया इतनी एक-दूसरे पर निर्भर हो गई है कि दो देशों के बीच हिंसक संघर्ष का यकीनन दूसरों पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, युद्ध अब एक पुराना तरीका हो गया है और अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है. हमें दूसरे मनुष्य को भाई-बहन मानते हुए पूरी मानवता के एक होने का विचार विकसित करना चाहिए. इस तरह हम अधिक शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण कर पाएंगे.

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बातचीत के जरिए होगा समस्या का समाधान

दलाई लामा ने कहा कि समस्याओं और असहमति को हल करने का सबसे वाजिब तरीका बातचीत ही है. असल शांति आपसी समझ और एक-दूसरे के कुशलक्षेम के सम्मान से ही आती है. यूक्रेन में जल्द शांति बहाली की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद नहीं खोनी चाहिए. 20वीं सदी युद्ध और रक्तपात की सदी थी. 21वीं सदी संवाद की सदी होनी चाहिए.

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