Bulldozer Action: यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, 10-10 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश

Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा है कि उसने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कुछ घरों को गिरा दिया है. कोर्ट ने कहा कि इससे "हमारी अंतरात्मा को झटका लगा है." सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विकास प्राधिकरणों को याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न अंग है.

By Pritish Sahay | April 1, 2025 4:30 PM
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Bulldozer Action: यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमानवीय और अवैध करार दिया है. मंगलवार को पीड़ित याचिकाकर्ताओं की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी. एससी (Supreme Court) ने कहा ‘ये हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है.’ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि घरों को गिराने की कार्रवाई अनुचित तरीके से की गई. पीठ ने कहा कि देश में कानून का शासन है और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता.

यूपी सरकार को फटकार

प्रयागराज में साल 2021 में बुलडोजर एक्शन के तहत पांच घरों को ध्वस्त किया गया था. इनमें अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद समेत अन्य तीन महिलाओं के घर शामिल थे. पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया जैसी कोई चीज होती है.

10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा कि इससे खराब और गलत प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा. कोर्ट ने प्रयागराज प्राधिकरण को छह सप्ताह के भीतर प्रत्येक मकान मालिक को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. बेंच ने कहा कि यह मुआवजा इसलिए भी जरूरी है ताकि आने वाले समय में सरकार उचित कानूनी प्रक्रिया के लोगों का मकान गिराने से परहेज करें.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने यह सोचकर गलत तरीके से मकानों को ध्वस्त किया कि यह जमीन अतीक अहमद की है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.

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