CAA: असम के सीएम सरमा ने कहा कि संसद, जिसने कानून पारित किया था, ‘सर्वोच्च नहीं’ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इसके ऊपर है और वह किसी भी कानून को रद्द कर सकती है जैसा उसने चुनावी बांड के मामले में किया. उन्होंने कहा, सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की कोई प्रासंगिकता नहीं है क्योंकि आंदोलन संसद द्वारा पारित किसी कानून के संबंध में कारगर नहीं हो सकते. बदलाव केवल सुप्रीम कोर्ट में हो सकता है जैसा कि उसने भाजपा द्वारा लागू चुनावी बांड के मामले में किया.
संसद का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुका: सरमा
सरमा ने कहा कि न्यायपालिका को किसी अधिनियम में बदलाव का अधिकार है और इसके अलावा संसद का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी हो चुका है तथा अगले चार महीने तक कोई भी सीएए को निष्प्रभावी करने के लिए दोनों सदनों की बैठक नहीं बुला सकता.
#WATCH | On CAA, Assam CM Himanta Biswa Sarma says, "I support CAA. But at the same time, many people in Assam oppose it. We have to accommodate both points of view. We should not criticise anyone for supporting or criticizing CAA. Those who are opposing CAA should go to the… pic.twitter.com/Bs6AA17Vkf
— ANI (@ANI) March 2, 2024
सीएम सरमा ने विपक्ष पर बोला हमला
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, सीएए वास्तविकता है और यह भारत में कानून की किताब में शामिल है. यह पिछले दो साल से भारत की विधि पुस्तिका में है. दिल से सीएए से नफरत करने वालों को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. सीएए से राजनीतिक करियर बनाना चाह रहे लोग आंदोलन कर सकते हैं. दोनों में अंतर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि किसी को सीएए पसंद नहीं हो लेकिन वह इस भावना का सम्मान करते हैं तो यही बात दूसरे पक्ष की ओर से भी होनी चाहिए.
सीएए को पसंद या नापसंद करना खुद का अधिकार
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, मैं किसी की भी आलोचना नहीं करना चाहता क्योंकि सीएए को पसंद या नापसंद करना उनका अधिकार है. लेकिन दोनों पक्षों का समाधान सुप्रीम कोर्ट में निकलना चाहिए, ना कि असम की सड़कों पर. लोकसभा और राज्यसभा ने लोकतांत्रिक तरीके से सीएए को पारित किया था. अब आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं? आप (प्रदर्शन करके) कुछ नहीं कर सकते.
क्या है सीएए
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदुओं, जैन, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को यहां पांच साल रहने के बाद भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.
विपक्ष ने सीएए निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति को लिखा पत्र
असम के विपक्षी दलों ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपकर कहा कि अगर सीएए को निरस्त नहीं किया गया तो वे राज्यभर में ‘लोकतांत्रित तरीके से जन आंदोलन’ करेंगे. सोलह दलों वाले संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने मुर्मू को संबोधित एक ज्ञापन राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को सौंपा. यूओएफए में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), रायजोर दल, एजेपी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी), शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार(राकांपा-शरद पवार), समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियां शामिल हैं.
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