Chandrayaan-3: लैंडर विक्रम से बाहर निकला रोवर प्रज्ञान, सामने आयी पहली तस्वीर, चांद पर छोड़ रहा भारत के निशान

छह पहियों वाला रोबोटिक वाहन 'प्रज्ञान' का संस्कृत में अनुवाद 'ज्ञान' होता है. 26 किलोग्राम वजनी, रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए उपकरण हैं और यह वायुमंडल की मौलिक संरचना का अध्ययन करेगा.

By ArbindKumar Mishra | August 24, 2023 9:35 AM
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चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आयी है. जिसमें इसरो के हवाले से खबर है कि लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकल चुका है. इसरो ने ट्वीट किया और बताया रोवर बाहर निकल चुका है और चंद्रमा की सैर करना शुरू कर दिया है. रैंप पर लैंडर से बाहर आते रोवर की पहली तस्वीर भी सामने आ चुकी है. जिसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (INSPACe) के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने ट्वीट किया था.

इसरो ने रोवर को लेकर दी अहम जानकारी

इसरो ने चंद्रयान-3 को लेकर अहम जानकारी देते हुए ट्वीट किया और बताया, CH-3 रोवर लैंडर से नीचे उतर गया है और भारत ने चंद्रमा पर सैर की.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रोवर प्रज्ञान को लैंडर से सफलतापूर्वक बाहर निकालने के लिए इसरो को बधाई दी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लैंडर ‘विक्रम’ के अंदर से रोवर ‘प्रज्ञान’ को सफलापूर्वक बाहर निकालने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की टीम और देश के नागरिकों को गुरुवार को बधाई दी और कहा कि यह चंद्रयान-3 के एक और चरण की सफलता को दर्शाता है. मुर्मू ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर कहा, मैं अपने देशवासियों और वैज्ञानिकों के साथ पूरे उत्साह से उस जानकारी और विश्लेषण की प्रतीक्षा कर रही हूं जो प्रज्ञान हासिल करेगा और चंद्रमा के बारे में हमारे ज्ञान को समृद्ध करेगा.

प्रज्ञान रोवर का क्या है मिशन

छह पहियों वाला रोबोटिक वाहन ‘प्रज्ञान’ का संस्कृत में अनुवाद ‘ज्ञान’ होता है. 26 किलोग्राम वजनी, रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए उपकरण हैं और यह वायुमंडल की मौलिक संरचना का अध्ययन करेगा. इसके दो पेलोड हैं: APXS या ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ और LIBS या ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’. APXS चंद्र सतह की मौलिक संरचना प्राप्त करने में लगा रहेगा. जबकि एलआईबीएस चंद्र लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों के रासायनिक तत्वों जैसे मैग्नीशियम और एल्यूमीनियम आदि की मौलिक संरचना निर्धारित करने के लिए प्रयोग करेगा.

भारत के निशान छोड़ रहा रोवर प्रज्ञान

रोवर प्रज्ञान को इसरो ने 26 किलोग्राम वजनी बनाया है. जिसमें छह पहिये लगे हैं. इसमें एक सोलर पैनल लगा है, जो सूर्य की रोशनी से जार्च होगा और चंद्रमा की सैर करेगा. चंद्रमा की सैर करने के दौरान इसकी गति एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड होगी. प्रज्ञान के पहियों पर इसरो और अशोक स्तंभ के निशान बने हैं. वह जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, चांद की सतह पर अशोक स्तंभ और इसरो के निशान छोड़ता जा रहा है.

चंद्रयान के रोवर पर लगे दो कैमरे नोएडा के स्टार्ट-अप के सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रिसर्च करेगा

चंद्रयान-3 के रोवर पर लगे दो कैमरे नोएडा के एक प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप के सॉफ्टवेयर का उपयोग कर उसकी सतह का अन्वेषण करेंगे. चंद्रयान के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ निकटता से काम कर रही ‘ओम्नीप्रेजेंट रोबोट टेक्नोलॉजीस’ ने प्रज्ञान रोवर के लिए ‘पर्सेप्शन नेविगेशन सॉफ्टवेयर’ विकसित किया है जो विक्रम लैंडर मॉडयूल में लगा है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आकाश सिन्हा ने कहा, हम प्रज्ञान रोवर को हमारे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर चंद्रमा की सतह पर घूमते हुए देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि उनके स्टार्टअप द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर रोवर पर लगे दो कैमरों का इस्तेमाल कर चंद्रमा की तस्वीरें लेगा और चंद्रमा के परिदृष्य का 3-डी मानचित्र बनाने के लिए उन्हें एक साथ जोड़ेगा.

प्रज्ञान रोवर दो आंखों से चंद्रमा के आसपास अपना रास्ता तलाश करेगा

विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अत्यधिक महंगे कैमरों के मुकाबले प्रज्ञान रोवर में केवल दो कैमरों का इस्तेमाल किया गया है जो सॉफ्टवेयर द्वारा चंद्रमा की सतह का 3डी मानचित्र बनाते वक्त उसकी आंखों के रूप में काम करते हैं. प्रज्ञान रोवर इन दो आंखों से चंद्रमा के आसपास अपना रास्ता तलाश कर लेगा.

14 दिनों तक चंद्रमा की सैर करेगा रोवर

लैंडर और छह पहियों वाले रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे.

इसरो ने रचा इतिहास, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत

अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

चंद्रयान-3 ने 41 दिनों का सफर तयकर पहुंचा चंद्रमा

गत 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ और इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है. भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं, लेकिन ये देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाए, और अब भारत के नाम इस उपलब्धि को हासिल करने का रिकॉर्ड हो गया है. चार साल में भारत के दूसरे प्रयास में चंद्रमा पर अनगिनत सपनों को साकार करते हुए चंद्रयान-3 के चार पैरों वाले लैंडर ‘विक्रम’ ने अपने पेट में रखे 26 किलोग्राम के रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ योजना के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की. शाम 5.44 बजे लैंडर मॉड्यूल को चंद्र सतह की ओर नीचे लाने की शुरू की गई प्रक्रिया के दौरान इसरो वैज्ञानिकों ने इस कवायद को दहशत के 20 मिनट के रूप में वर्णित किया.

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