Adhir Ranjan Chowdhury News संसद के मॉनसून सत्र के पहले कांग्रेस पार्टी में बड़ा बदलाव किए जाने संबंधी खबरों का पार्टी ने खंडन किया है. दरअसल, हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर पाने वाली कांग्रेस पार्टी की ओर से अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने के इरादे से ममता बनर्जी से नजदीकी बढ़ाने की खातिर लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को पद से हटाने जाने की बात सामने आने पर पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पीटीआई के मुताबिक, इस मामले पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया में अधीर रंजन चौधरी को पद से हटाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट को समय से पहले और निराधार बताया है.
इससे पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द ही इस बारे में निर्णय लेंगी और अधीर रंजन चौधरी को पद से हटाकर किसी दूसरे नेता को लोकसभा में पार्टी के नेता की बागडोर सौंप सकती हैं. इस मुद्दे पर हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी नेताओं की माने तो, बंगाल से सांसद और राज्य इकाई के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी को अपनी पार्टी के भीतर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. हाल के बंगाल चुनावों ने उनकी स्थिति को अस्थिर कर दिया है. टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में अपने दो साल के लंबे कार्यकाल में अधीर रंजन चौधरी पर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े विपक्षी दलों की कभी कोई बैठक नहीं करने का आरोप है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ किसी भी विरोध प्रदर्शन को लेकर तृणमूल के सदस्यों के कोई बैठक नहीं की गयी. इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे (फ्लोर लीडर) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (चीफ व्हीप) के समय ऐसा नहीं होता था.
बताया जा रहा है कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में बंगाल से सांसद अभिषेक सिंघवी और पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख प्रदीप भट्टाचार्य जैसे राज्य के नेताओं सहित कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस और तृणमूल के बीच गठजोड़ का समर्थन किया. लेकिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी के तौर पर अधीर रंजन चौधरी ने ऐसी किसी भी योजना का विरोध किया. तृणमूल के एक शीर्ष नेता के मुताबिक, कांग्रेस की ओर से गठबंधन का कोई प्रस्ताव नहीं आया. वहीं, कई मौकों पर तृणमूल कांग्रेस ने वर्तमान लोकसभा में कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठकों को छोड़ दिया. दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को कांग्रेस संसदीय दल कार्यालय में राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई विपक्षी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था.
तृणमूल नेताओं की माने तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पांच बार की पूर्व सांसद रही है और जब भी वह संसद आती थीं, तो राजनीतिक लाइनों से हटकर नेता उनसे शिष्टाचार भेंट करते थे. हालांकि, अधीर रंजन चौधरी कभी नहीं आए और न ही ममता बनर्जी से मिले. तृणमूल नेताओं ने इसे व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के संकेत के रूप में देखते है. वहीं, तृणमूल ने भी अधीर रंजन चौधरी तक पहुंचने का कोई प्रयास नहीं किया और आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा के साथ एक प्रारंभिक समीकरण बनाए रखना पसंद किया, लेकिन उनके साथ नहीं. तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, सर्वदलीय बैठकों में से एक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौधरी को बंगाल का बाघ बताया, यह बहुत ही असामान्य था.