Gujarat Election 2022: गुजरात चुनाव 2022 में आणंद विधानसभा सीट को कई मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है. यहां गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 5 दिसंबर को मतदान होना है. कांग्रेस के कांति सोडापरमार ने कहा कि इस बार के चुनाव में उन्हें बड़े अंतर से अपनी जीत दोहराने की पूरी उम्मीद है. वह 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 5000 वोटों के अंतर से इस सीट से विजयी हुए थे.
अपनी जीत दोहरा पाएगी कांग्रेस?
25 साल बाद 2017 में आणंद विधानसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस क्या इस बार चुनाव में अपनी जीत दोहरा पाएगी, जहां बीजेपी के साथ उसका कड़ा मुकाबला है. दरअसल, बीजेपी को निकाय चुनाव का अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है. दरअसल, 2017 के बाद से बीजेपी ने आणंद नगरपालिका में 52 में से 36 सीटें जीती हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 11 तालुका पंचायतों में सात तथा दोनों जिला पंचायत बीजेपी के पास हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार कांति सोडापरमार और बीजेपी के योगेश पेटल के बीच सीधा मुकाबला होगा, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) के गिरीश शांडिल्य का इस क्षेत्र में कोई खास जन समर्थन नहीं है. आणंद निर्वाचन क्षेत्र में इस बार कुल 15 प्रत्याशी हैं.
क्या है सियासी समीकरण
आणंद प्रसिद्ध अमूल ब्रांड डेयरी उत्पादों का मूल स्थान है और गुजरात दुग्ध विपणन सहकारी संघ के बैनर तले ये उत्पाद यहां बनते हैं. आणंद शहर आणंद जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों में एक है, जिनमें से 5 पर 2017 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. आणंद निर्वाचन क्षेत्र में 3,13,857 मतदाता हैं. इनमें 1,59,122 पुरूष, 1,54,730 महिलाएं तथा 5 ट्रांसजेंडर हैं. क्षत्रिय इस क्षेत्र में वर्चस्वशील जाति है.
आणंद जिले में कांग्रेस को सभी 7 सीटों पर जीत की उम्मीद
कांग्रेस के कांति सोडापरमार ने कहा कि 2017 से पहले मैं तीन बार बहुत कम अंतर से हार जाता था. लेकिन, विधायक बनने के बाद मैंने लोगों के लिए काम किया. इस बार मैं 25,000 वोटों के अंतर से जीतूंगा. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार के सिवा लोगों को कुछ नहीं दिया. वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत सिंह सोलंकी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी पार्टी आप द्वारा संभवत पहुंचाये जाने वाले नुकसान को कम से कम करने की चेष्टा कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आणंद जिले की सभी सात सीटों पर जीत की आस है. उन्होंने कहा कि हम 2017 में उमरेथ और खंबात हार गये थे. इस बार हमने उमरेथ और खंबात सीटें एनसीपी को दी हैं.
पाटीदार आंदोलन के कारण बीजेपी को पहुंचा था नुकसान
इधर, बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने दावा किया कि पार्टी पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते पिछली बार आणंद जिले की सीटें हार गयी, लेकिन इस बार यह कोई मुद्दा ही नहीं है. बीजेपी के एक स्थानीय नेता की मानें तो पार्टी ने अपनी हार के कारणों की पहचान की और सुधार के कदम उठाये है.
आणंद को लेकर बीजेपी गंभीर
पीएम मोदी ने चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही विद्यानगर में एक बड़ी रैली को संबोधित किया तथा योगेश पटेल जब नामांकन पत्र भरने गये तब उनके साथ गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल भी गये. यह दर्शाता है कि बीजेपी आणंद को कितनी गंभीरता से लेती है. योगेश पटेल ने कहा कि 2017 में सामाजिक आंदोलन के चलते पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हो गया, लेकिन 2022 में स्थिति भिन्न है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी एवं सीएम पटेल एवं उनके पूर्ववर्तियों की विकास योजनाएं हर घर पहुंची हैं. मतदाता महसूस करते हैं कि बीजेपी का कोई विकल्प नहीं है. लोग कहते हैं कि यदि महंगाई है तो उनकी आय भी बढ़ी है इसलिए यह मुद्दा नहीं है.
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