Cooperative: देश में सहकारिता क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए हाल के वर्षों में कई कदम उठाए गए है. सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा केंद्र सरकार करेगी. केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा 30 जून 2025 को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों की एक मंथन बैठक आयोजित होगी. जिसमें सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रगति की समीक्षा, विचारों के आदान-प्रदान और भविष्य की कार्ययोजना पर विचार किया जायेगा.
सहकारी क्षेत्र में मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर विचार-विमर्श होगा. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय मजबूती के लिए उठाए गए कदम जैसे सहकारी बैंकों से जुड़ी समस्याओं के समाधान, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए साझा सेवा इकाई की स्थापना और शहरी सहकारी बैंकों के संचालन के लिए एक संगठन बनाने पर मंथन किया जायेगा.बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे. जिसमें सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों एवं सहकारिता विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव शामिल होंगे.
मंथन बैठक का मुख्य मकसद सहकारिता मंत्रालय की अब तक की पहल और योजनाओं की समग्र समीक्षा करना है. साथ ही प्रगति का मूल्यांकन, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से अच्छे अनुभवों, श्रेष्ठ प्रक्रियाओं और रचनात्मक सुझावों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को सामूहिक प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए साझा समझ और समन्वित रणनीति विकसित करने में मदद करेगा.
पैक्स को सशक्त बनाने पर होगी चर्चा
मंथन बैठक में 2 लाख नयी बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा की जाएगी. सरकार का मानना है कि ग्रामीण सेवा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम सहकारिता के जरिए संभव है. इस दौरान सहकारी क्षेत्र में ‘विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना’ पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा, जिसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना और किसानों को सशक्त बनाना है. साथ ही, ‘सहकारिता में सहकार’ अभियान और ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ के तहत राज्यों की प्रगति और सहभागिता पर विचार किया जाएगा.
राज्यों की भागीदारी की होगी समीक्षा
तीन नयी बहु-राज्यीय राष्ट्रीय सहकारी संस्थाओं, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल), और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) में राज्यों की भागीदारी की समीक्षा की जाएगी. श्वेत क्रांति 2.0 और भारत के डेयरी क्षेत्र में सर्कुलेरिटी एवं सस्टेनेबिलिटी की अवधारणाओं को अपनाने तथा आत्मनिर्भरता अभियान के तहत दलहन व मक्का उत्पादक किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर चर्चा होगी. पैक्स कम्प्यूटरीकरण और राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) के कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण विशेष तौर पर राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस और इसकी नीति-निर्माण में उपयोगिता की समीक्षा होगी.
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