नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गर्वनर जो अब शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं उन्होंने कहा है कि सरकार कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मुझसे मदद मांगती तो मैं भारत लौट आऊंगा. उन्होंने एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में यह बात कही है.
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कोरोना के असर को लेकर उन्होंने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में घुस चुकी है. अगले साल सुधार की उम्मीद उन्होंने जतायी और कहा, देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती विदेशी मुद्रा एक्सचेंज को लेकर है. दूसरे इकॉनमी की तुलना में हमारे देश की मुद्रा वैसे बेहतर कंडिशन में है इसकी वजह रिजर्व बैंक द्वारा मजबूत समर्थन है. इसमें कोई शक नहीं है कि रुपये में डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है, लेकिन दूसरे देशों की मुद्रा के मुकाबले यह कम है.
इस बातचीत में उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह ऐसे वक्त में विपक्ष और सभी फील्ड के एक्सपर्ट लोगों को सामने लेकर आए और चुनौती का मिलकर मुकाबला करे. आजादी के बाद देश के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है जिसे मिलकर ही जीता जा सकता है. अगर सिर्फ PMO में शामिल लोगों से कोरोना से लड़ने की कोशिश होगी तो यह आसान नहीं होगा.
सरकार हम फील्ड में शामिल लोगों की एक्सपर्ट की राय ले उनका इस्तेमाल करे. इस मौके पर रघुराम राजन ने साल 2008 – 09 में आयी मंदी का भी जिक्र किया उन्होंने कहा वर्कर्स काम पर जा पा रहे थे. उस समय देश की तमाम कंपनियों की आर्थिक स्थिति मजबूत थी और देश बहुत तेजी से विकास हो रहा था.
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