नयी दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन फेज नहीं पहुंचा है. यह दावा इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने अपने एक शोध में किया है. आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में कोरोना फैलने का द ही फेज देखा जा रहा है. तीसरा फेज यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन फेज नहीं देखा गया है.
आईसीएमआर ने आगे कहा है कि अगर लॉकडाउन सही तरीके से हो जाये तो इस दोनों फेज को रोका जा सकता है और होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.
कोरोनावायरस के फेज– कोरोनावायरस के फैलने के मुख्यत चार फेज है. चौथा फेज में आने के बाद यह वायरस महामारी का रूप ले लेता है. आइये जानते हैं कोरोनावायरस के चार फेज कौन-कौन से है.
फेज एक– इस पेज में वहीं लोग कोरोना से संक्रमित होते या पाये जाते हैं, जो संक्रमण वाले देश की यात्रा की होती है. इस पेज में वायरस यह कुछ लोगों तक ही सीमित रहता है. चिकित्सकों की मानें तो इस पेज में वायरस को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.
फेज दो– इस फेज में कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के परिजनों और एकदम करीबी लोगों में फैलता है. सबसे बड़ी बात यह है कि फेज वन-व-टू में कोरोना के फैले का सोर्स पता रहता है कि किससे फैल रहा है. भारत में अभी कोरोनावायरस दूसरे फेज में ही है.
फेज तीन– इस फेज को कम्युनिटी फेज भी कहते हैं. इस फेज में वायरस से संक्रमित मरीज समाज में घुम घुमकर फैलाता है, जिसके कारण यह वायरस पूरे समाज में फैलने लगता है. इस पेज में सोर्स का पता नहीं चल पाता है.
फेज चार– यह फेज सबसे भयानक होता है. इस पेज में बीमारी महामारी का रूप ले लेती है. इस पेज में नीचे से लेकर ऊपर तक के हर कोई बीमारी से संक्रमित हो सकता है.
लॉकडाउन पहले दो फेज के लिए ही कारगर– विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन पहले ही दो फेज के लिए कारगर है. अगर भारत में तीसरा फेज शुरू हो जाये तो, फिर लॉकडाउन भी इसे रोक नहीं पायेगा.
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