Cow Dung: दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला को कक्षा की दीवारों पर गाय का गोबर लगाते हुए देखा गया. उनका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ. उन्होंने इसे गर्मी से बचने का देसी उपाय बताया. लेकिन गर्मी से बचने का देसी जुगाड़ विवाद का कारण बन गया.
#WATCH | Delhi: The Principal of Delhi University’s Lakshmibai College, Pratyush Vatsala was seen applying cow dung on the walls of a classroom, calling it a “desi” solution to beat the heat in summer.
— ANI (@ANI) April 15, 2025
Days later today, Delhi University Students’ Union (DUSU) president Ronak… pic.twitter.com/0X1jckHJrZ
डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री ने प्रिंसिपल ऑफिस की दीवारें लगाया गोबर का लेप
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DU) अध्यक्ष रौनक खत्री (Ronak Khatri) ने मंगलवार को लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्राचार्य के कार्यालय की दीवारों पर गाय का गोबर पोत दिया, जिससे विवाद और बढ़ गया. खत्री ने बताया, “इस तरह की पहल के लिए छात्रों से कोई सहमति नहीं ली गई. यदि आप रिसर्च करना चाहते हैं, तो इसे अपने घर पर करें.” खत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्राचार्य के वायरल वीडियो का संदर्भ दिया और तंज कसते हुए कहा कि वह और उनके समर्थक प्रिंसिपल ऑफिस की दीवारों को पोतकर उनकी मदद करने गए थे. उन्होंने लिखा, “हमें पूरा विश्वास है कि मैडम अब अपने कमरे से एसी हटवाकर उसे छात्रों को सौंप देंगी और कॉलेज को गाय के गोबर से लिपे आधुनिक और नेचुरल कुलर में चलाएंगी.”
#WATCH | Delhi: Days after the Principal of Delhi University’s Lakshmibai College, Pratyush Vatsala was seen applying cow dung on the walls of a classroom in what she calls an attempt to beat the heat, DUSU president Ronak Khatri smeared cow dung on the walls of her office in… pic.twitter.com/U5m6CcPWo3
— ANI (@ANI) April 15, 2025
प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला ने विवाद पर क्या बयान दिया
विवाद पर दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज के प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला ने कहा, “दूसरी मंजिल पर कैंटीन ब्लॉक में पोर्टा केबिन है. जो काफी पुराने हैं. वहां पर लास्ट ऑप्शन के रूप में क्लास होते हैं. पिछले 10 वर्षों में बुनियादी ढांचे का भी निर्माण हुआ है. फिर भी, छात्रों की संख्या अधिक है. वहां कभी-कभी कक्षाएं होती रही हैं. वे कमरे थोड़े उपेक्षित दिखते हैं. पंखे हैं. हम कुछ स्थानीय समाधान खोजने के लिए ईवीएस फैकल्टी के साथ बैठे थे. बैठक से कुछ सुझाव निकलकर सामने आए. गाय के गोबर को लेकर पहले ही रिसर्च हुए हैं. तो उसे ध्यान में रखकर हमने पोर्टा केबिन पर रिसर्च करने का सोचा. चूंकि पोर्टेकेबिन में कोई प्लास्टर नहीं था और यह दूसरी मंजिल पर स्थित है, इसलिए हमने ठंडक के प्रभाव को देखने के लिए मिट्टी के साथ गाय के गोबर से कुछ तैयार करने के बारे में सोचा. हमने एक अध्ययन करने का फैसला किया. जहां तक मेरे वीडियो का सवाल है, उस दिन छुट्टी थी…यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चों को उनकी कक्षाओं के बीच में परेशानी न हो, हमने उन दिनों ऐसा किया. मुझे लगा कि मुझे भी इसमें शामिल होना चाहिए…इसलिए, मैंने आगे बढ़कर इसे अपने आंतरिक संकाय समूह में साझा किया.”
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