CPA: विधायिका और कार्यपालिका को मिलकर करना होगा काम 

विधायिका की जिम्मेदारी है कि वह जरूरी कानून बनाए, वित्तीय निगरानी को मजबूत करे और सरकारी योजनाओं के अमल पर नजर रखे. साथ ही, ज्वलंत मुद्दों पर खुली चर्चा को बढ़ावा दे.

By Anjani Kumar Singh | June 30, 2025 6:39 PM
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CPA: हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बसे धर्मशाला में कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (सीपीए) इंडिया रीजन जोन-टू की दो दिवसीय वार्षिक कांफ्रेंस सोमवार को शुरू हुआ. हिमाचल प्रदेश विधान सभा द्वारा आयोजित इस कांफ्रेंस में शांति, संवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “सीपीए जोन-टू के राज्य, मुल्क की प्रगति में अहम योगदान दे रहे हैं. ये राज्य भारत की विकास गाथा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं”. उन्होंने चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके समाधान के लिए विधायिका और कार्यपालिका को मिलकर काम करना होगा. विधायिका की जिम्मेदारी है कि वह जरूरी कानून बनाए, वित्तीय निगरानी को मजबूत करे और सरकारी योजनाओं के अमल पर नजर रखे. साथ ही, ज्वलंत मुद्दों पर खुली चर्चा को बढ़ावा दे.  

हरिवंश ने 2047 तक विकसित, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत के निर्माण के दृष्टिकोण पर बल देते हुए कहा कि “हमें मजबूत लोकतांत्रिक संस्थानों, ठोस आर्थिक नीतियों और समावेशिता, नवाचार व स्थिरता पर आधारित रणनीति की जरूरत है.”  इस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख पीठासीन अधिकारियों और विधायकों ने हिस्सा लिया. प्रतिभागियों ने कृषि, उद्योग, शिक्षा, रक्षा और सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों में प्रगति पर विचार-विमर्श किया. यह आयोजन लोकतांत्रिक मूल्यों, सहयोग और सतत विकास के प्रति हमारी साझी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है.

विधायी और संवैधानिक विषयों पर होगा मंथन

इस दो दिवसीय सम्मेलन का विषय  “डिजिटल युग में सुशासन: संसाधनों का प्रबंधन, लोकतंत्र की रक्षा और नवाचार को अपनाना” रखा गया है. इस दौरान महत्वपूर्ण विधायी और संवैधानिक विषयों पर पूर्ण सत्रों और चर्चाओं के दौरान भिन्न- भिन्न विषयों पर विचार किये जायेंगे, जिसमें राज्य के विकास के साथ-साथ राज्य संसाधनों के प्रबंधन में विधानमंडलों की भूमिका, अनुच्छेद 102 (2) और 191 (2) के अनुसार 10वीं अनुसूची के अंतर्गत दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता के प्रावधान, विधानमंडलों में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग आदि शामिल है. सम्मेलन का उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना तथा वर्तमान समय में शासन और विधायी कामकाज में नवाचार को बढ़ावा देने पर चर्चा करना है.

गौरतलब है कि सीपीए एक वैश्विक संगठन है जो संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सांसदों को एक साथ लाता है. सीपीए के वैश्विक स्तर पर नौ क्षेत्र हैं, जो अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश द्वीप और भूमध्यसागरीय (बीआईएम), कनाडा, कैरिबियन, अमेरिका और अटलांटिक (सीएए), भारत, प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशिया. सीपीए भारत क्षेत्र के अंदर नौ क्षेत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता जोन 2 इनमें से एक है, जो दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों पर ध्यान केंद्रित करता है.

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