Defence: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूर्व सेना प्रमुखों के साथ भारतीय सेना का चिंतन बैठक
भारतीय सेना ने पूर्व सेना प्रमुखों(सीएसओएएस) के साथ दो दिवसीय बैठक मंगलवार को आयोजित की. इसका मकसद उनके संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाने के साथ ही भारतीय सेना में चल रहे परिवर्तन और भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए विचार-विमर्श शामिल है.
By Anjani Kumar Singh | June 17, 2025 6:29 PM
Defence: ऑपरेशन सिंदूर के बाद आयोजित होने वाले भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख ‘चीफ्स का चिंतन’ बैठक का उद्देश्य उनके संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाने के लिए एक मंच प्रदान करना है. इससे भारतीय सेना को जहां अपने पूर्व प्रमुखों के अनुभव और भविष्य की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी, वहीं एक दूसरे के अनुभव का लाभ उठाने के लिए एक मंच भी प्रदान करेगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस तरह की यह पहली बैठक है, जिसमें सेना के पूर्व प्रमुखों के साथ भारतीय सेना एक मंच पर उपस्थित होकर अपने अनुभवों को साझा की और भविष्य की अपनी रणनीति पर पूर्व प्रमुखों के विचार से अवगत हुई.
सेना प्रमुख (सीओएएस), जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों (सीएसओएएस) के बीच दो दिवसीय बातचीत आज शुरू हुई.जनरल द्विवेदी ने पूर्व प्रमुखों का स्वागत किया और भारतीय सेना में चल रहे परिवर्तन और भविष्य की दिशा को आकार देने में उनकी निरंतर भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया.
ऑपरेशन सिंदूर पर हुई व्यापक ब्रीफिंग
आज के कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर पर एक व्यापक ब्रीफिंग हुई, जिसमें भारतीय वायु सेना और नौसेना के साथ समन्वित संचालन शामिल था. ऑपरेशन के क्रियान्वयन, रणनीतिक प्रभाव और संयुक्त कौशल मॉडल को विस्तार से प्रस्तुत किया गया, ताकि प्रासंगिक समझ प्रदान की जा सके और पूर्व प्रमुखों के अनुभव का लाभ उठाया जा सके. पूर्व प्रमुखों को परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और उच्च तकनीकी और आधुनिकीकरण पहलों को शामिल करने के बारे में भी जानकारी दी गई. सम्मेलन के दौरान तकनीकी इनिशिएटिव की दिशा में किये जा रहे प्रयास और विकसित भारत @2047 के लक्ष्यों में भारतीय सेना के योगदान पर भी चर्चा की गयी.
मानव संसाधन नीतियों में सुधार और कल्याण और वयोवृद्धों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की पहल पर भी विचार किया गया. पूर्व चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने अपनी अंतर्दृष्टि और सिफारिशें साझा की, जो भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने और संगठनात्मक सुधार के लिए चल रहे प्रयासों में योगदान देती है. यह बातचीत नेतृत्व की निरंतरता और भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार रखने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है.