Defense: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के पराक्रम और स्वदेशी निर्मित हथियारों के शानदार प्रदर्शन के कारण वैश्विक स्तर पर देशी रक्षा उपकरणों की मांग बढ़ी है. रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है और ऐसे में हमारी जिम्मेदारी नियंत्रक की नहीं सुविधा मुहैया कराने वाले की होनी चाहिए. शांति के दौर में भी हमें अशांति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. अचानक हुए घटनाक्रम से हालात तत्काल बदल जाते हैं. डिफेंस अकाउंट डिपार्टमेंट के नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि इस विभाग का सेना की ऑपरेशनल क्षमता और वित्तीय मजबूती में अहम रोल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोच के कारण रक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव हो रहे हैं.
रक्षा क्षेत्र की योजना, वित्तीय और इनोवेशन के क्षेत्र में संस्थागत सुधार के कारण भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर है. पहले कई रक्षा उपकरण के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता थी, लेकिन अब कई उपकरण का निर्माण देश में किया जा रहा है. रक्षा मंत्री ने हाल में एक लाख करोड़ रुपये के बजट से शुरू किए गए रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन योजना का जिक्र किया और कहा कि इसमें रक्षा क्षेत्र को इनोवेशन और उच्च-स्तर की तकनीक की खरीद को प्राथमिकता दी गयी है. ऐसे में रक्षा विभाग को इस योजना के सही क्रियान्वयन में मदद करनी चाहिए. साथ ही स्टार्टअप, सूक्ष्म एवं छोटे लघु उद्योग के प्रोजेक्ट की फंडिंग तय समय में करने का काम करना चाहिए. पहली बार रक्षा अधिग्रहण परिषद ने रक्षा उपकरण की खरीद के लिए पूंजीगत खर्च का रास्ता चुना है.
वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है रक्षा खर्च
भू-राजनीतिक हालत के कारण वैश्विक स्तर पर सेना पर होने वाला खर्च बढ़ रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर होने वाला रक्षा खर्च 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. बढ़ता रक्षा खर्च भारत के स्वदेशी रक्षा क्षेत्र के लिए व्यापक संभावनाओं का द्वार खोलने में मददगार होगा. रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का फोकस देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का है. भारतीय रक्षा उद्योग को वैश्विक मांग के अनुसार उपकरण का निर्माण करना चाहिए ताकि विदेश में भारतीय उपकरणों की मांग बढ़े. बड़े रक्षा उपकरणों के निर्माण के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई फैसले लिए गए है. सरकार ने आधुनिक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को विकसित किया है.
जीईएम पोर्टल से पूंजीगत खरीद की अनुमति
मौजूदा दौर में रक्षा क्षेत्र का सामरिक और आर्थिक महत्व काफी बढ़ गया है. रक्षा क्षेत्र में निवेश से आर्थिक स्तर पर व्यापक असर होता है. पूर्व में रक्षा बजट को अर्थव्यवस्था की बेहतरी के तौर पर नहीं देखा जाता था. लेकिन आज रक्षा क्षेत्र विकास के इंजन बन गए है. ऐसे में रक्षा विभाग को अपनी योजना बनाने में डिफेंस इकोनॉमिक्स को भी शामिल करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पहली बार जीईएम पोर्टल से पूंजीगत खरीद की अनुमति दी है. रक्षा कर्मियों के लिए व्यापक वेतन प्रणाली और केंद्रीकृत डेटाबेस प्रबंधन पर काम हो रहा है और पेंशन प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए स्पर्श पोर्टल शुरू किया गया है. करोड़ों रुपये का भुगतान स्पर्श पोर्टल से हो रहा है. इसके कारण पेंशन से जुड़ी शिकायतों में कमी आयी है.