Defense: दुश्मनों पर सटीक निशाना साधने के लिए प्रलय मिसाइल का हुआ सफल परीक्षण

प्रलय एक स्वदेशी रूप से विकसित ठोस ईंधन पर आधारित एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. यह मिसाइल 350-700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर तक है. खास बात यह है कि यह बिना रडार में आए दुश्मन के कमांड सेंटर और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है. खास बात है कि इस मिसाइल में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जैसे इसमें विशेष नेविगेशन सिस्टम है और यह बीच रास्ते में कमांड मिलने पर रास्ता बदल सकती है.

By Anjani Kumar Singh | July 29, 2025 7:27 PM
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Defense: मिसाइल के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. मंगलवार को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन(डीआरडीओ) ने प्रलय मिसाइल का दो सफल परीक्षण किया. ओडिशा के समुद्री तट पर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के लगातार दो सफल उड़ान-परीक्षण के दौरान मिसाइल प्रणाली की अधिकतम और न्यूनतम रेंज क्षमता का सटीक आकलन किया गया. परीक्षण के दौरान  मिसाइलों ने तय लक्ष्य का सटीक पालन किया और सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा करने वाले पिन-पॉइंट सटीकता के साथ सभी जांच लक्ष्यों को हासिल किया. 


इस परीक्षण का मकसद यह देखना था कि मिसाइल कम से कम और अधिक से अधिक कितनी दूरी तक सटीक मार करने में सक्षम है. परीक्षणों के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक, भारतीय सेना, वायु सेना और रक्षा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ मौजूद थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए इससे जुड़ी टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस मिसाइल की सफलता से सेना को नयी तकनीक मिलेगी और वे भावी खतरों का सामना बेहतर तरीके से कर सकेंगे. यह सफलता सेना को उभरते खतरों का मुकाबला करने में एक महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता मुहैया कराने का काम करेगी. 

क्या है प्रलय मिसाइल सिस्टम 

प्रलय एक स्वदेशी रूप से विकसित ठोस ईंधन पर आधारित एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. यह मिसाइल 350-700 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर तक है. खास बात यह है कि यह बिना रडार में आए दुश्मन के कमांड सेंटर और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है. इस मिसाइल में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जैसे इसमें विशेष नेविगेशन सिस्टम है और यह बीच रास्ते में कमांड मिलने पर रास्ता बदल सकती है. इसे बेहद कम समय में सटीक निशाना लगाने के लिए लांच किया जा सकता है.

 
यह मिसाइल विभिन्न लक्ष्य के साथ कई प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है और इस प्रणाली को अनुसंधान केंद्र इमरत द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला, उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला, टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर) और आईटीआर आदि के सहयोग से विकसित किया गया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर कामत ने कहा कि चरण-1 उड़ान परीक्षणों के सफल होने से भविष्य में इसे सेना में करने का रास्ता साफ हो गया है.

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