बीजेपी को चुनाव हारने का इतना डर : मनीष सिसोदिया
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में तलाशी अभियान के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उठाए गए सभी लोगों से मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत ईडी मुख्यालय में पूछताछ की जा रही है. एक ट्वीट में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ईडी ने उसके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया है, जिसके बाद उसने उसके पीए के घर पर छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया.
उन्होंने कहा कि झूठी प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उन्होंने मेरे घर पर छापा मारा, बैंक लॉकर की तलाशी ली और मेरे गांव में जांच की, लेकिन उन्हें मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि आज ईडी ने मेरे पीए के घर पर छापा मारा. जब ईडी को वहां भी कुछ नहीं मिला, तो उन्होंने उसे गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ ले गए. बीजेपी के लोग! चुनाव हारने का इतना डर.
कौन-कौन हैं आरोपी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितता मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर को आरोपी बनाया है. इसके अलावा, दूसरे आरोपियों में पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, निदेशक अमनदीप ढल, ब्रिंडको सेल्स कंपनी के रिटेल के निदेशक अमित अरोड़ा और दिनेश अरोड़ा, महादेव लिकर सनी मारवाह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और अर्जुन पांडे के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता शामिल हैं.
क्या है आरोप
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गई थीं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और एल-1 लाइसेंस को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना बढ़ा दिया गया था. लाभार्थियों ने अवैध लाभ को आरोपी अधिकारियों को दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में झूठी प्रविष्टियां कीं.
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अनियमितता से 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान
एक आरोप है कि आबकारी विभाग ने एक सफल निविदाकार को निर्धारित नियमों के विरुद्ध लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस करने का निर्णय लिया था. भले ही कोई सक्षम प्रावधान नहीं था, लेकिन कोरोना के कारण 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक संदर्भ पर प्राथमिकी में कहा गया है कि इससे कथित तौर पर सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.