नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी स्कूल की मान्यता खत्म करना कठोर कदम है जिसका इसके छात्रों की शैक्षणिक प्रगति पर असर पड़ता है और सावधानीपूर्वक ‘‘जांच” के बाद ही ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा दक्षिण दिल्ली के एक स्कूल की अस्थायी मान्यता समाप्त करने के बाद न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने यह टिप्पणी की और 12 मार्च के फैसले पर रोक लगा दी. अदालत ने स्कूल की याचिका पर सीबीएसई को नोटिस जारी कर 26 मई तक उसका रूख पूछा
अदालत ने कहा कि मान्यता समाप्त करने के कारण उचित नहीं प्रतीत होते जिन्हें स्कूल की याचिका पर सुनवाई के बाद तय किया जा सकता है. इसने कहा कि अगर स्कूल ने कोई गलती की तो यह देखा जाना है कि क्या यह इतना गंभीर है कि मान्यता समाप्त की जाए और इसके परिणामस्वरूप छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा.
सीबीएसई के आदेश के मुताबिक मान्यता समाप्त करने का कारण था कि एक शिक्षक को पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक (पीजीटी) के तौर पर नियुक्त किया गया जबकि उनके पास उपयुक्त योग्यता नहीं थी, पद के लिए प्रिंसिपल भी योग्य नहीं थीं और स्कूल की प्रबंधन समिति मालिकाना प्रकृति की थी.
स्कूल ने बताया कि निरीक्षण समिति की अक्टूबर 2016 की रिपोर्ट में पाया गया कि पीजीटी के तौर पर शिक्षक की नियुक्ति चूक थी जबकि प्रिंसिपल की योग्यता के बारे में आरोप सही नहीं थे
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