नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने करीब 44.78 करोड़ रुपये में अपने आवास की मरम्मत करवाकर बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं. इस मामले को लेकर अब तक तो सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जुबानी जंग ही चल रही थी, लेकिन खबर यह भी है दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.
15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपें मुख्य सचिव
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास मरम्मत पर 44.78 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की खबरों के मद्देनजर उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को सभी जरूरी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने, रिकॉर्ड की जांच करने और एक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, नरेश कुमार को 15 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने की बात भी कही गई है.
मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दिया आदेश
अंग्रेजी के अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 27 अप्रैल को उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को एक चिट्ठी लिखी गई है, जिसमें कहा गया है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से सिविल लाइन्स स्थित नंबर-6, फ्लैग स्टाफ हाउस के नवीनीकरण में बरती गई घोर अनियमितताओं को लेकर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में खबरें प्रकाशित और प्रसारित की गई हैं. उपराज्यपाल ने मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने और उनकी जांच करने के आदेश दिए हैं.
नियमों में खोजा जाएगा उल्लंघन
अंग्रेजी के अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसके पास उपराज्यपाल की ओर से लिखी गई चिट्ठी की प्रति है. अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोक निर्माण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत पर खर्च किए गए 44.78 करोड़ रुपये के विवरण की अधिकारियों द्वारा जांच की जा सकती है कि व्यय निर्धारित नियमों के अनुपालन में उल्लंघन किया गया है या नहीं. उधर, इस मामले में सवाल पूछे जाने पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
लोक निर्माण विभाग से मांगा गया है खर्च का ब्योरा
हालांकि, लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि उनसे खर्च का ब्योरा मांगा गया है. हालांकि, अधिकारी ने यह नहीं बताया कि किस एजेंसी ने ब्योरा मांगा है. नाम न छापने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आगे की कार्रवाई खर्च की जांच के दौरान निष्कर्षों पर निर्भर करेगी.
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