इस परियोजना पर 6,000 से 8,000 करोड़ रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है. कुल 55 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को एलिवेटेड बनाया जाएगा. इसके तहत कई स्थानों पर लूप, रैंप और इंटरचेंज भी बनाए जाएंगे, जिससे इसकी कुल लंबाई बढ़कर 80 किलोमीटर तक हो जाएगी.
पीडब्ल्यूडी ने शुरू किया काम, 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य
दिल्ली के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है. PWD मंत्री परवेश वर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एलिवेटेड रोड बनने से दिल्ली के ट्रैफिक में 30-40% तक कमी आएगी और ईंधन की खपत भी घटेगी.
पहले चरण में मजनूं का टीला से धौला कुआं तक एलिवेटेड रोड का निर्माण होगा. इसमें मायापुरी, नारायणा, राजौरी गार्डन और पंजाबी बाग जैसे प्रमुख क्षेत्रों को कवर किया जाएगा. परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में सर्वे और डिजाइन का काम चल रहा है, साथ ही भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है.
मुनक नहर पर भी नया कॉरिडोर प्रस्तावित
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने मुनक नहर के साथ-साथ एक और कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है. यह 20 किलोमीटर लंबा होगा और बवाना से इंद्रलोक तक बनेगा. इस परियोजना पर लगभग 3,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह दिल्ली के बाहरी हिस्सों को रिंग रोड से जोड़ने में मदद करेगा.
राजधानी को विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर ले जाने की कोशिश
दिल्ली का इंफ्रास्ट्रक्चर बीते डेढ़ दशक में बहुत ज्यादा नहीं बदला है. कॉमनवेल्थ गेम्स के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में सड़कों और फ्लाईओवर का जो जाल बिछा था, वह आज भी राजधानी की आधारशिला है. अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पूरी तरह से कमर कस चुकी है.