संविधान की उद्देशिका में संशोधन के लिए निजी विधेयक पर चर्चा, क्या होगा बुनियादी बदलाव ?

संविधान की उद्देशिका(Preamble of Constitution) में प्रस्तावित संशोधन विधेयक में प्रतिष्ठा और अवसर की समानता के जगह पर प्रतिष्ठा और भरण-पोषण, शिक्षित होने, रोजगार पाने और गरिमा के साथ व्यवहार करने के अवसर की समानता को शामिल करने का प्रस्ताव है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2021 2:15 PM
an image

भारत के संविधान की उद्देशिका(Preamble of Constitution) उसके उद्देश्यों को दिखाता है. इसे संविधान का सार माना जाता है. ये संविधान के लक्ष्य को भी दिखाता है. ऐसे में पिछले दिनों संसद में संविधान की उद्देशिका में संशोधन को लेकर एक निजी विधेयक पेश किया गया है. हालांकि संशोधन को लेकर चर्चा इस विषय पर हो रही है कि आखिर संविधान के उद्देशिका में संशोधन इसके बुनियादी ढांचे के हिसाब होगा या नहीं. बता दें कि संविधान के बुनियादी ढांचे है इसे बनाने का मकसद.

वहीं आपको बता दें कि बुनियादी ढांचे के सिद्धांत की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले में की थी. जिसमें ये साफ किया गया था कि संसद मौलिक स्वतंत्रताओं से जुड़े प्रावधानों को संशोधित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है और न ही इसे बदला या विरूपित ही किया जा सकता है. संसद में प्रस्तावित उद्देशिका में संशोधन को इसी के हिसाब से देखा जाना चाहिए. वहीं, आपको बता दें कि राज्यसभा के उप-सभापति ने इसे लेकर निजी सदस्यों की तरफ से लाए गए इस विधेयक की प्रस्तुति पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.

Also Read: कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज पर कल सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की बैठक, ओमिक्रोन पर हुई समीक्षा बैठक

उद्देशिका में इन बातों पर संशोधन का प्रस्ताव

आपको बता दें कि प्रस्तावित विधेयक में प्रतिष्ठा और अवसर की समानता के जगह पर प्रतिष्ठा और भरण-पोषण, शिक्षित होने, रोजगार पाने और गरिमा के साथ व्यवहार करने के अवसर की समानता को शामिल करने का प्रस्ताव है. वहीं, समाजवादी शब्द की जगह समतामूलक शब्द के इस्तेमाल किए जाने का प्रस्ताव है. वहीं, उद्देश्यों में सूचना प्रौद्योगिकी तक पहुंच और खुशहाली को शामिल करने की भी बात है.

कौन हैं निजी सदस्य और कैसे लाया जाता है विधेयक

दरअसल संसद के वो सदस्य जो सरकार में शामिल नहीं होते उन्हें निजी सदस्य कहा जाता है. निजी सदस्य की तरफ से लाए जाने वाले विधेयक का मसौदा खुद सांसद या उसके सहायक तैयार करते हैं. ऐसे में कोई भी विधेयक की प्रस्तुति के लिए सदन की तरफ से सचिवालय को एक महीने पहले ही खबर देना जरूरी होता है. जिससे संविधान और विधि की तरफ से दिए गए प्रावधानों को देखते हुए उसका पूरा अध्ययन किया जा सके.

निजी सदस्यों के विधेयक सरकारी विधेयक से कई मयानों में अलग होता है. जहां सरकारी विधेयक किसी भी दिन प्रस्तुत कर इसपर चर्चा की जा सकती है तो वहीं, निजी सदस्यों के विधेयक की प्रस्तुति केवल शुक्रवार को की जा सकती है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version