कई घर दरार की चपेट में
नयी बस्ती में जमीन धंसने की वजह से यहां के काफी सारे घरों पर दरार पड़ गए हैं. यहां रहने वाले 40 वर्षीय मोहम्मद अकरम ने कहा कि- पिछले साल दिसंबर के महीने में ही यहां के घरों पर दरार पड़ने शुरू हो गए थे. लेकिन, हमने इसे नजरअंदाज कर दिया था. हमें लगा कि पहाड़ी इलाकों में हल्के से मध्यम दर्जे के भूकंप आते रहते है और इसी वजह से ये दरार पड़े हैं. हमने उन दरारों को ढकने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल किया. लेकिन हफ्ते भर के अंदर ये दरारें चौड़ी होने लगीं और देखते ही देखते कई घर इसके चपेट में आ गयी और धंसने लगी.
मैं गांव नहीं छोड़ना चाहती हूं. अब हम कहां जाएंगे?… शाजिय बेगम
नयी बस्ती निवासी शाजिय बेगम ने घरों पर पड़ रहे दरारों की घटना पर दुःख जताया. उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि- मैं गांव छोड़कर नहीं जाना चाहती, अब हम कहां जाएंगे? हम पूरी तरह से बरबाद हो गए हैं. हमने यहां रहकर छोटे मजदूरों के रूप में काम किया है और ऐसे करके अपने बच्चों के लिए घर बनाया है. हम सरकार से अपील करते हैं कि- हमारे लिए कुछ करें, मेरा एक दिव्यांग बच्चा भी है और ऐसे में हम कहां जाएं.
डोडा में जोशीमठ जैसे हालात नहीं
घरों में पड़ रहे दरारों को लेकर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी बयान दिया. अपने बयान में उन्होंने कहा कि- जोशीमठ जैसे हालात अभी यहां नहीं बने है और लोगों को घबराने की भी जरुरत नहीं हैं. प्रशासन ने लगातार घटना पर नजर बनाये रखी है और प्रभावित लोगों के लिए हर उचित इंतजाम किया जा रहा है. मामले पर विशेज्ञ भी काम कर रहे हैं. कुछ ही दिनों पहले नयी बस्ती में जमीन धंसने की वजह से 19 घरों पर दरार पड़ी थी. इन घरों में रहने वाले 117 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.