नयी दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान घर में कैद होने के चलते कई महिलाओं को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों की मानें, तो 24 अप्रैल से भारत में घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गये हैं. पीटीआई द्वारा दिये गये आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को 23 मार्च से 30 मार्च तक महिला उत्पीड़न की 58 शिकायतें मिली हैं.
इस बारे में एनसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन रेखा शर्मा बताती है कि इनमें से अधिकतर शिकायतें उत्तर भारत खासकर पंजाब से आयी हैं. रेखा के अनुसार पुरुष घर पर बैठे हुए तनाव का शिकार हो रहे हैं और वे अपनी कुंठा महिलाओं पर निकाल रहे हैं. यह प्रवृत्ति विशेष रूप से पंजाब में ज्यादा देखी जा रही है. हालांकि अभी हमें इस अपराध के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाये हैं. जो 58 शिकायतें हमारे पास आयी हैं, वे ई-मेल से मिली हैं. रेखा कहती हैं कि महिलाओं पर होनेवाले उत्पीड़न के मामलों का असली आंकड़ा और अधिक हो सकता है, क्योंकि समाज के निचले तबके की अधिकतर महिलाएं अपनी शिकायतें हमें डाक द्वारा भेजती हैं.
रेखा के अनुसार घरेलू हिंसा का सामना करनेवाली ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें ई-मेल भेजना नहीं आता. इसी के चलते ऐसे न जाने कितने ही मामलों की जानकारी हम तक नहीं पहुंच पा रही है. लॉकडाउन की वजह से डाक द्वारा मिलनेवाली शिकायतों की संख्या भी काफी कम हो गयी है.
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन की सचिव और अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने भी लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंता जतायी है. वे बताती हैं कि बीते एक सप्ताह में मेरे पास घरेलू हिंसा की जितनी भी शिकायतें आयी हैं, उनमें अधिकतर महिलाओं का कहना है कि यदि सरकार पहले ही लॉकडाउन की चेतावनी दे देती, तो ये महिलाएं वक्त रहते सुरक्षित स्थानों पर चली जातीं. कविता बताती हैं कि इस बंदी के चलते इन महिलाओं की स्थिति काफी खराब हो गयी है.
सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी इस गंभीर स्थिति के बारे में कहती हैं कि लॉकडाउन में हर कोई घर में है. कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो घर के लोगों से डर कर उत्पीड़न के खिलाफ किसी से मदद मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं. बेशक इन महिलाओं के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है. एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के अनुसार 23 मार्च से अब तक इ-मेल के माध्यम से मिली शिकायतों सहित पूरे महीने में घरेलू हिसां की कुल 291 शिकायतें दर्ज हुईं. वहीं फरवरी में 302 और जनवरी में 270 शिकायतें दर्ज की गयी थीं.
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