Election Commission: राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग ने किया सबसे बड़ा संवाद कार्यक्रम

देश भर में निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ), जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) और मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ अनेक बैठकें आयोजित की गयी. राजनीतिक दलों के साथ 25 दिनों तक चले संवाद कार्यक्रम के दौरान कुल 4,719 बैठकें आयोजित की गयी.

By Vinay Tiwari | April 1, 2025 7:38 PM
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Election Commission: हाल के दिनों में कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. फर्जी मतदाता कार्ड और चुनाव संबंधी शिकायतों को देखते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉक्टर सुखबीर सिंह संधू और डॉक्टर विवेक जोशी के निर्देश पर राजनीतिक दलों के साथ सबसे बड़ा संवाद कार्यक्रम 31 मार्च को पूरा हो गया. देश भर में निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ), जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) और मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ कई अनेक बैठकें आयोजित की गयी. 


संवाद कार्यक्रम के तहत 4719 बैठकें आयोजित

राजनीतिक दलों के साथ 25 दिनों तक चले संवाद कार्यक्रम के दौरान कुल 4,719 बैठकें आयोजित की गयी. जिसमें सीईओ द्वारा 40 बैठकें, डीईओ द्वारा 800 और ईआरओ द्वारा 3879 बैठकें हुई और इसमें देश भर के राजनीतिक दलों के 28000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए. इन बैठकों का मकसद संबंधित सक्षम प्राधिकार यानी ईआरओ या डीईओ या सीईओ द्वारा जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और 1951 के मौजूदा कानूनी ढांचे,  मतदाताओं के पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम 1961 और समय-समय पर ईसीआई द्वारा जारी किए गए मैनुअल, दिशा-निर्देश और निर्देशन के भीतर किसी भी लंबित मुद्दे को हल करना है.



राजनीतिक दलों की शिकायतों का समाधान करने की कोशिश

बैठक का मकसद दलों, नेताओं और सभी हितधारकों की मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी सभी तरह के आरोप, शंका और शिकायतों को दूर करना था. इस बैठक के दौरान जो शिकायत और समस्या का समाधान सीईओ स्तर पर नहीं हो पाया, उसे आयोग के स्तर पर दूर करने का काम किया जायेगा. सभी राज्यों के सीईओ को इन बैठकों की रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपनी है. इस रिपोर्ट के आधार पर आयोग भावी कदम उठाएगा. 


आयोग का कहना है कि इन कार्यक्रमों को राजनीतिक दलों द्वारा खूब सराहा गया. विधानसभा क्षेत्रों, जिलों और राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में सक्रिय और उत्साहपूर्ण भागीदारी रही. गौरतलब है कि फर्जी मतदाता पहचान को रोकने के लिए चुनाव आयोग मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. 

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