Global warming: इस वर्ष जून और अगस्त के महीने में देशभर में भारी से बहुत भारी और अत्यधिक भारी वर्षा रिकॉर्ड की गयी. जिसमें असम सबसे अधिक प्रभावित हुआ. वहां का अधिकांश हिस्सा जलमग्न हो गया. बाढ़ ने वहां के कई लोगों को स्थायी रूप से अपने घर से अलग कर दिया. एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि साल 2015 से 2022 के 8 वर्षों में तापमान सबसे गर्म रहा.
रिपोर्ट में दावा, साल 2022 में वैश्विक औसत तापमान औसत से 1.15 डिग्री अधिक
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि 2022 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है. डब्ल्यूएमओ प्रोविजनल स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर 1993 के बाद से दोगुनी हो गई है और जनवरी 2020 से लगभग 10 मिलीमीटर बढ़कर इस साल एक नयी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है.
समुद्र के स्तर में कुल वृद्धि का 10 प्रतिशत हिस्सा पिछले ढाई साल में बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 30 साल पहले उपग्रह माप शुरू होने के बाद से समुद्र के स्तर में कुल वृद्धि का 10 प्रतिशत हिस्सा पिछले ढाई साल में बढ़ा है. 2022 की अस्थायी रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए आंकड़े इस साल सितंबर के अंत तक के हैं. अंतिम रिपोर्ट अगले साल अप्रैल में जारी की जाएगी.
2022 रिकॉर्ड 5वें या 6ठे सबसे गर्म वर्ष
रिपोर्ट में कहा गया है, 2022 में अब तक का वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है. यदि मौजूदा विसंगति वर्ष के अंत तक जारी रहती है, तो विश्लेषण 2022 को (1850 से) रिकॉर्ड में पांचवें या छठे सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज करेगा और प्रत्येक मामले में 2021 की तुलना में मामूली गर्म होगा. आठ साल – 2015 से 2022 – रिकॉर्ड में आठ सबसे गर्म वर्ष होने की आशंका है.
भारत और पाकिस्तान में दिखा ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
भारत और पाकिस्तान में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव दिख रहा है. पाकिस्तान में सबसे अधिक गर्मी मार्च और अप्रैल में रही. जुलाई और अगस्त में रिकॉर्ड तोड़ बारिश से पाकिस्तान में व्यापक बाढ़ आयी. कम से कम 1700 व्यक्तियों की मौत हुईं और 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए जबकि 79 लाख लोग विस्थापित हुए. भारत में भी मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ आयी, विशेष रूप से जून में पूर्वोत्तर में ऐसा हुआ.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण 30 वर्षों में 3.4 मिलीमीटर बढ़ा समुद्र का स्तर
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघलने की दर में वृद्धि हुई है. 30 वर्षों (1993-2022) में समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 3.4 मिलीमीटर बढ़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1993-2002 और 2013-2022 के बीच यह दर दोगुनी हो गई है और जनवरी 2021 तथा अगस्त 2022 के बीच समुद्र के स्तर में लगभग 5 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है.
क्या होगा ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण है ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि. इससे हवा गर्म होती जा रही है, जिससे जल का वाष्पीकरण तेजी से हो रहा है. जिससे चक्रवात, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. अत्धिक गर्मी बढ़ने से सूखे का खतरा में भी बढ़ता जा रहा है. जंगल में आग जैसी घटना बढ़ने की आशंका है. इसका असर हाल के दिनों में भारत, पाकिस्तान सहित ब्रिटेन में भी देखा गया. ब्रिटेन का तापमान 40 डिग्री से ऊपर बढ़ गया, जिसे ब्रिटेन ने रेड हीट अलर्ट कर दिया. आर्कटिक में बर्फ का पिघलना रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.
जलवायु परिवर्तन के कारण भारत की आधी आबादी का जीवन स्तर हो सकता है निम्न
विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण भारत की लगभग आधी आबादी का जीवन स्तर निम्न हो सकता है.
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