दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है. दिल्ली कूच के लिए पंजाब से निकले किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस पूरी को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. शंभू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हरियाणा-पंजाब शंभू सीमा पर आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया.
न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अपनी मांगों को लेकर किसानों का दिल्ली चलो मार्च अब जोर पकड़ रहा है. पंजाब, हरियाणा और यूपी से किसान दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गए हैं.
दिल्ली की शंभू सीमा पर किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया. हालात को देखते हुए हरियाणा पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. वहीं सीमा पर किसानों के जमावड़े के कारण दिल्ली से सटी तमाम सीमाओं पर जबरदस्त ट्रैफिक जाम लग गया है.
दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली कूच करने के लिए अड़े हुए हैं. दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने सभी सीमाएं सील कर दी हैं.
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने आर-पार की जंग का बिगुल फूंक दिया है. किसानों का नारा है दिल्ली कूच होकर रहेगा. गाजीपुर, सिंघु, शंभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
किसानों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली में 12 फरवरी से ही धारा 144 लागू कर दी गई है. दिल्ली में एक महीने तक के लिए इसे लागू किया गया है.
वहीं, दिल्ली पुलिस ने कहा है कि किसानों की आड़ में अगर उपद्रवियों ने कानून व्यवस्था हाथ में लेने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
किसानों के आज दिल्ली कूच को देखते हुए बवाना स्टेडियम को जेल बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार ने खारिज कर दिया है. केंद्र के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि किसानों की मांगें जायज है. शांतिपूर्ण विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है. इसलिए किसानों को गिरफ्तार करना गलत है.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने सीमाओं पर भारी अवरोधक लगाए जाने पर कहा कि पंजाब, हरियाणा की सीमाएं अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरह लग रही हैं. हम नहीं कह रहे कि हम सड़कें अवरुद्ध कर देंगे, सरकार खुद सड़कें अवरुद्ध कर रही है.
वहीं, किसानों को मनाने और उनके आंदोलन को रोकने के लिए बीते दिन सोमवार को तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की मैराथन बैठक हुई. मीटिंग करीब पांच घंटे तक चली. लेकिन नतीजा सिफर रहा. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े रहे. जिसके कारण मीटिंग बेनतीजा ही रह गई.
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